ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं,
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं,
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं।
दवा असर ना करें तो नजर उतारती है,
माँ है जनाब, वो कहां हार मानती है।
मोहब्बत की बात तो जमाना भी करता है,
लेकिन प्यार की शुरुआत आज भी माँ से होती है।
मां तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है,
मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है।
कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है,
जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता है।
एक हस्ती है जिसमे में जान है,
वो जान से भी बढ़कर मेरी शान है,
खुदा हुक्म दे तो कर दू सजदा उसे,
क्योकि वो कोई और नहीं मेरी माँ है।
हालातों के आगे जब साथ ना जुबां होती है,
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो सिर्फ माँ होती है।
रात भर मैंने ख्वाबों में जन्नत की सैर की,
जब सुबह उठा तो मेरा सर माँ की गोद में था।
कोई सरहद नहीं होती, कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती, तो बंटवारा नहीं होता।
हर इन्सान की जिंदगी में वह सबसे खास होती है,
दूर होते हुए भी वो दिल के पास होती है,
जिसके सामने मौत भी अपना सिर झुका दे,
वह और कोई नहीं बस माँ होती है।
न तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयी,
माँ जिसके जीवन में आयी उसने जन्नत पायी।