एक हस्ती है जिसमे में जान है,
वो जान से भी बढ़कर मेरी शान है,
खुदा हुक्म दे तो कर दू सजदा उसे,
क्योकि वो कोई और नहीं मेरी माँ है।
माँग लूं यह दुआ की फिर यही जहां मिले
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले।
मेरे खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथों को चूल्हे में जलाना याद आता है,
वो डांट डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।
इस दुनिया में जितने रिश्ते, सारे झूठे बेहरूप,
एक माँ का रिश्ता सबसे अच्छा, माँ है रब का रूप।
माँ ने तो उम्र भर संभाला ही था,
हमें तो जिंदगी ने रुलाया है,
कहाँ से पडती काँटों की आदत हमें,
माँ ने हमेशा अपनी गोद में सुलाया है।
हर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका,
दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका।
हर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।
कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है,
जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता है।
बहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेरा,
मैं अपने पर्स में रखी माँ की तस्वीर को देख लेता हूं।
पूछता है जब कोई दुनिया में मोहब्बत है कहाँ,
मुस्कुरा देता हूँ और याद आ जाती है मांँ।