हर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।
पूछता है जब कोई दुनिया में मोहब्बत है कहाँ,
मुस्कुरा देता हूँ और याद आ जाती है मांँ।
हालातों के आगे जब साथ ना जुबां होती है,
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो सिर्फ माँ होती है।
इन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया था,
ये दिल भी यूं अक्सर ही आँखों को भिगोया था,
चलने को तो मैं भी चला जाता ज़माने से पर,
उस अंगुली को कैसे भूलता जिसने कभी चलना सिखाया था।
माँग लूं यह दुआ की फिर यही जहां मिले
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले।
रोटी वो आधी खाती हे मगर,
अपने बच्चो को पूरा खिलाती हे,
चाहे मेरी माँ हो या तुम्हारी,
दोस्तों माँ सबकी ऐसी ही होती हे।
जमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गया,
मां ने सर पर हाथ रख दिया तो मरहम लग गया।
मंजिल दूर है और सफर बहुत है,
छोटी सी जिंदगी की फिक्र बहुत है,
मार डालती यह दुनिया कब की हमें,
लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत है।
जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था,
माँ ने गोद में उठाकर जब प्यार किया था।
दवा असर ना करें तो नजर उतारती है,
माँ है जनाब, वो कहां हार मानती है।
आँख खोलू तो चेहरा मेरी माँ का हो,
आँख बंद हो तो सपना मेरी माँ का हो,
मैं मर भी जाऊँ तो भी कोई गम नहीं,
लेकिन कफन मिले तो दुपट्टा मेरी माँ का हो।
घुटनों से रेंगते रेंगते जब पैरों पर खड़ा हो गया,
माँ तेरी ममता की छाँव में, जाने कब बड़ा हो गया।
मोहब्बत की बात तो जमाना भी करता है,
लेकिन प्यार की शुरुआत आज भी माँ से होती है।
मेरे खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथों को चूल्हे में जलाना याद आता है,
वो डांट डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।
माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
खुदा ने रख दी है कदमों में जिसके जन्नत,
सोचो उसके सर का मकाम क्या होगा।
वही मेरी दौलत है और वही मेरी शान है,
उसके कदमों में ही तो मेरा सारा जहान है।
ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते है,
जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते है।
घर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए,
लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई।
नाराज रहता हूं जब में, मुझे मना लेती है,
मेरे रोने पर माँ, मुझे गले लगा लेती है।
ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं,
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं,
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं।