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Home Maa Shayari in Hindi & English Maa Ke Liye Shayari in Hindi - माँ के लिए शायरी हिंदी में

इन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया था

इन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया थाइन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया था,
ये दिल भी यूं अक्सर ही आँखों को भिगोया था,
चलने को तो मैं भी चला जाता ज़माने से पर,
उस अंगुली को कैसे भूलता जिसने कभी चलना सिखाया था।

घर में धन दौलत हीरे जवाहरात सब आएघर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए,
लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई।

इन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया थाइन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया था,
ये दिल भी यूं अक्सर ही आँखों को भिगोया था,
चलने को तो मैं भी चला जाता ज़माने से पर,
उस अंगुली को कैसे भूलता जिसने कभी चलना सिखाया था।

इस दुनिया में जितने रिश्ते सारे झूठे बेहरूपइस दुनिया में जितने रिश्ते, सारे झूठे बेहरूप,
एक माँ का रिश्ता सबसे अच्छा, माँ है रब का रूप।

मंजिल दूर है और सफर बहुत हैमंजिल दूर है और सफर बहुत है,
छोटी सी जिंदगी की फिक्र बहुत है,
मार डालती यह दुनिया कब की हमें,
लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत है।

हर इन्सान की जिंदगी में वह सबसे खास होती हैहर इन्सान की जिंदगी में वह सबसे खास होती है,
दूर होते हुए भी वो दिल के पास होती है,
जिसके सामने मौत भी अपना सिर झुका दे,
वह और कोई नहीं बस माँ होती है।

सब कुछ मिल जाता हैं दुनिया मेंसब कुछ मिल जाता हैं दुनिया में,
मगर याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।

रब से करू दुआ बार-बार हर जन्म मिले मुझे माँ का प्याररब से करू दुआ बार-बार,
हर जन्म मिले मुझे माँ का प्यार,
खुदा कबूल करे मेरी मन्नत,
फिर से देना मुझे माँ के आंचल की जन्नत।

किसी भी मुस्किल का अब किसी को हल नहीं निकलताकिसी भी मुस्किल का अब,
किसी को हल नहीं निकलता,
शायद अब घर से कोई,
माँ के पैर छुकर नहीं निकलता,

बूढी हुई माँ तो हाथ पकड़ने को शर्माते होबूढी हुई माँ तो हाथ पकड़ने को शर्माते हो,
भूल गए बचपन मे गोद मे बैठकर रोटी खाई है।

कोई सरहद नहीं होती कोई गलियारा नहीं होताकोई सरहद नहीं होती, कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती, तो बंटवारा नहीं होता।

रात भर मैंने ख्वाबों में जन्नत की सैर कीरात भर मैंने ख्वाबों में जन्नत की सैर की,
जब सुबह उठा तो मेरा सर माँ की गोद में था।

ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैंठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं,
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं,
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं।

माँग लूं ये मन्नत की फिर यही जहां मिलेमाँग लूं ये मन्नत की फिर यही जहां मिले,
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले।

रोटी वो आधी खाती हे मगर अपने बच्चो को पूरा खिलाती हेरोटी वो आधी खाती हे मगर,
अपने बच्चो को पूरा खिलाती हे,
चाहे मेरी माँ हो या तुम्हारी,
दोस्तों माँ सबकी ऐसी ही होती हे।

तन्हाई क्या होती उस माँ से पूछोतन्हाई क्या होती उस माँ से पूछो,
जिसका बेटा घर लोट कर नही आया।

जमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गयाजमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गया,
मां ने सर पर हाथ रख दिया तो मरहम लग गया।

मोहब्बत की बात तो जमाना भी करता हैमोहब्बत की बात तो जमाना भी करता है,
लेकिन प्यार की शुरुआत आज भी माँ से होती है।

हर झुला झूल के देखा परहर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।

ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते है,
जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते है।

दवा असर ना करें तो नजर उतारती हैदवा असर ना करें तो नजर उतारती है,
माँ है जनाब, वो कहां हार मानती है।


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