हालातों के आगे जब साथ ना जुबां होती है,
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो सिर्फ माँ होती है।
इन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया था,
ये दिल भी यूं अक्सर ही आँखों को भिगोया था,
चलने को तो मैं भी चला जाता ज़माने से पर,
उस अंगुली को कैसे भूलता जिसने कभी चलना सिखाया था।
तेरी डिब्बे की वो दो रोटियां कहीं बिकती नहीं माँ,
महंगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं माँ।
माँ के लिए ये दुनिया छोड़ देना,
उसके दिल में कभी भी दुःख न देना,
जो रोज़ दरवाजे पर खड़ी रहती है,
बेटा घर जल्दी आ जाना।
घुटनों से रेंगते रेंगते जब पैरों पर खड़ा हो गया,
माँ तेरी ममता की छाँव में, जाने कब बड़ा हो गया।
हर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।
बूढी हुई माँ तो हाथ पकड़ने को शर्माते हो,
भूल गए बचपन मे गोद मे बैठकर रोटी खाई है।
मंजिल दूर है और सफर बहुत है,
छोटी सी जिंदगी की फिक्र बहुत है,
मार डालती यह दुनिया कब की हमें,
लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत है।
मां तुम्हारे पास आता हूं तो सांसें भीग जाती है,
मोहब्बत इतनी मिलती है की आंखें भीग जाती है।
न तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयी,
माँ जिसके जीवन में आयी उसने जन्नत पायी।