मेरे खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथों को चूल्हे में जलाना याद आता है,
वो डांट डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।
हालातों के आगे जब साथ ना जुबां होती है,
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो सिर्फ माँ होती है।
कोई सरहद नहीं होती, कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती, तो बंटवारा नहीं होता।
वही मेरी दौलत है और वही मेरी शान है,
उसके कदमों में ही तो मेरा सारा जहान है।
मंजिल दूर है और सफर बहुत है,
छोटी सी जिंदगी की फिक्र बहुत है,
मार डालती यह दुनिया कब की हमें,
लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत है।
दवा असर ना करें तो नजर उतारती है,
माँ है जनाब, वो कहां हार मानती है।
हर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।
तेरी डिब्बे की वो दो रोटियां कहीं बिकती नहीं माँ,
महंगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं माँ।
उसे है ईश्वर ने बनाया कुछ इस तरह,
की अपने दिल में किसी को भी दे दे वह जगह,
बस थोड़ा सम्मान और आदर है माँगती,
मेरी माँ है सब कुछ जानती।
हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं,
पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं।