भटकती हुई राहों की धूल था मैं,
जब मां के चरणों को छुआ तो
चमकता हुआ सितारा बन गया।
घर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए,
लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई।
इस दुनिया में जितने रिश्ते, सारे झूठे बेहरूप,
एक माँ का रिश्ता सबसे अच्छा, माँ है रब का रूप।
मेरे खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथों को चूल्हे में जलाना याद आता है,
वो डांट डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।
उसे है ईश्वर ने बनाया कुछ इस तरह,
की अपने दिल में किसी को भी दे दे वह जगह,
बस थोड़ा सम्मान और आदर है माँगती,
मेरी माँ है सब कुछ जानती।
हर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका,
दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका।
ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते है,
जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते है।
माँ के लिए ये दुनिया छोड़ देना,
उसके दिल में कभी भी दुःख न देना,
जो रोज़ दरवाजे पर खड़ी रहती है,
बेटा घर जल्दी आ जाना।
सब कुछ मिल जाता हैं दुनिया में,
मगर याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।
तेरी डिब्बे की वो दो रोटियां कहीं बिकती नहीं माँ,
महंगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं माँ।
पूछता है जब कोई दुनिया में मोहब्बत है कहाँ,
मुस्कुरा देता हूँ और याद आ जाती है मांँ।
माँ न होती तो वफ़ा कौन करेगा,
ममता का हक़ भी कौन अदा करेगा,
रब हर एक माँ को सलामत रखना,
वरना हमारे लिए दुआ कौन करेगा।
रात भर मैंने ख्वाबों में जन्नत की सैर की,
जब सुबह उठा तो मेरा सर माँ की गोद में था।
रोटी वो आधी खाती हे मगर,
अपने बच्चो को पूरा खिलाती हे,
चाहे मेरी माँ हो या तुम्हारी,
दोस्तों माँ सबकी ऐसी ही होती हे।
उस रब से दुआ है, वो शाम कभी ना आए,
जब मुझसे दूर माँ ना जाए।
बूढी हुई माँ तो हाथ पकड़ने को शर्माते हो,
भूल गए बचपन मे गोद मे बैठकर रोटी खाई है।
इन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया था,
ये दिल भी यूं अक्सर ही आँखों को भिगोया था,
चलने को तो मैं भी चला जाता ज़माने से पर,
उस अंगुली को कैसे भूलता जिसने कभी चलना सिखाया था।
ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं,
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं,
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं।
माँ ने तो उम्र भर संभाला ही था,
हमें तो जिंदगी ने रुलाया है,
कहाँ से पडती काँटों की आदत हमें,
माँ ने हमेशा अपनी गोद में सुलाया है।
हर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।