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Home Maa Shayari in Hindi & English Maa Ke Liye Shayari in Hindi - माँ के लिए शायरी हिंदी में

किसी भी मुस्किल का अब किसी को हल नहीं निकलता

किसी भी मुस्किल का अब किसी को हल नहीं निकलताकिसी भी मुस्किल का अब,
किसी को हल नहीं निकलता,
शायद अब घर से कोई,
माँ के पैर छुकर नहीं निकलता,

मेरे खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता हैमेरे खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथों को चूल्हे में जलाना याद आता है,
वो डांट डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।

दवा असर ना करें तो नजर उतारती हैदवा असर ना करें तो नजर उतारती है,
माँ है जनाब, वो कहां हार मानती है।

माँ हाथ रख दे सिर पर तो हिम्मत मिल जाएमाँ हाथ रख दे सिर पर तो हिम्मत मिल जाए,
माँ मुस्कुरा दे एक बार तो जन्नत मिल जाए।

वही मेरी दौलत है और वही मेरी शान हैवही मेरी दौलत है और वही मेरी शान है,
उसके कदमों में ही तो मेरा सारा जहान है।

रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखियेरूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और तड़पती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आती है तो याद आती है माँ।

हर इन्सान की जिंदगी में वह सबसे खास होती हैहर इन्सान की जिंदगी में वह सबसे खास होती है,
दूर होते हुए भी वो दिल के पास होती है,
जिसके सामने मौत भी अपना सिर झुका दे,
वह और कोई नहीं बस माँ होती है।

हर झुला झूल के देखा परहर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।

कहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता हैकहीं भी चला जाऊं दिल बेचैन रहता है,
जब घर जाता हूं तो माँ के आंचल में ही सुकून मिलता है।

कोई सरहद नहीं होती कोई गलियारा नहीं होताकोई सरहद नहीं होती, कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती, तो बंटवारा नहीं होता।

माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगामाँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
खुदा ने रख दी है कदमों में जिसके जन्नत,
सोचो उसके सर का मकाम क्या होगा।

बहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेराबहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेरा,
मैं अपने पर्स में रखी माँ की तस्वीर को देख लेता हूं।

रात भर मैंने ख्वाबों में जन्नत की सैर कीरात भर मैंने ख्वाबों में जन्नत की सैर की,
जब सुबह उठा तो मेरा सर माँ की गोद में था।

माँग लूं ये मन्नत की फिर यही जहां मिलेमाँग लूं ये मन्नत की फिर यही जहां मिले,
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले।

जन्नत‬ का हर ‪लम्हा‬ दीदार‬ किया थाजन्नत‬ का हर ‪लम्हा‬ दीदार‬ किया था,
माँ‬ ने ‪गोद‬ में उठाकर जब प्यार‬ किया था।

तन्हाई क्या होती उस माँ से पूछोतन्हाई क्या होती उस माँ से पूछो,
जिसका बेटा घर लोट कर नही आया।

सब तरह की दीवानगी से मुखातिब हुए हमसब तरह की दीवानगी से मुखातिब हुए हम,
पर माँ जैसा चाहने वाला जमाने भर में ना था।

जमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गयाजमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गया,
मां ने सर पर हाथ रख दिया तो मरहम लग गया।

ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैंठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं,
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं,
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं।

हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैंहर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं,
पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं।

ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते है,
जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते है।


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