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Home Maa Shayari in Hindi & English Maa Ke Liye Shayari in Hindi - माँ के लिए शायरी हिंदी में

मंजिल दूर है और सफर बहुत है

मंजिल दूर है और सफर बहुत हैमंजिल दूर है और सफर बहुत है,
छोटी सी जिंदगी की फिक्र बहुत है,
मार डालती यह दुनिया कब की हमें,
लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत है।

हर मंदिर हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेकाहर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका,
दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका।

मेरे खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता हैमेरे खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथों को चूल्हे में जलाना याद आता है,
वो डांट डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।

जन्नत‬ का हर ‪लम्हा‬ दीदार‬ किया थाजन्नत‬ का हर ‪लम्हा‬ दीदार‬ किया था,
माँ‬ ने ‪गोद‬ में उठाकर जब प्यार‬ किया था।

न तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयीन तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयी,
माँ जिसके जीवन में आयी उसने जन्नत पायी।

माँ ने तो उम्र भर संभाला ही था हमें तो जिंदगी ने रुलाया हैमाँ ने तो उम्र भर संभाला ही था,
हमें तो जिंदगी ने रुलाया है,
कहाँ से पडती काँटों की आदत हमें,
माँ ने हमेशा अपनी गोद में सुलाया है।

पूछता है जब कोई दुनिया में मोहब्बत है कहाँपूछता है जब कोई दुनिया में मोहब्बत है कहाँ,
मुस्कुरा देता हूँ और याद आ जाती है मांँ।

मोहब्बत की बात तो जमाना भी करता हैमोहब्बत की बात तो जमाना भी करता है,
लेकिन प्यार की शुरुआत आज भी माँ से होती है।

मंजिल दूर है और सफर बहुत हैमंजिल दूर है और सफर बहुत है,
छोटी सी जिंदगी की फिक्र बहुत है,
मार डालती यह दुनिया कब की हमें,
लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत है।

जमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गयाजमाने ने इतने सितम दिए की रूह पर भी जख्म लग गया,
मां ने सर पर हाथ रख दिया तो मरहम लग गया।

किसी भी मुस्किल का अब किसी को हल नहीं निकलताकिसी भी मुस्किल का अब,
किसी को हल नहीं निकलता,
शायद अब घर से कोई,
माँ के पैर छुकर नहीं निकलता,

माँ तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगामाँ तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगा,
तू है नाराज ती खुश मुझसे खुदा क्या होगा।

हर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैंहर घड़ी दौलत कमाने में इस तरह मशरूफ रहा मैं,
पास बैठी अनमोल मां को भूल गया मैं।

ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते है,
जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते है।

इन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया थाइन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया था,
ये दिल भी यूं अक्सर ही आँखों को भिगोया था,
चलने को तो मैं भी चला जाता ज़माने से पर,
उस अंगुली को कैसे भूलता जिसने कभी चलना सिखाया था।

घर में धन दौलत हीरे जवाहरात सब आएघर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए,
लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई।

उसे है ईश्वर ने बनाया कुछ इस तरहउसे है ईश्वर ने बनाया कुछ इस तरह,
की अपने दिल में किसी को भी दे दे वह जगह,
बस थोड़ा सम्मान और आदर है माँगती,
मेरी माँ है सब कुछ जानती।

दवा असर ना करें तो नजर उतारती हैदवा असर ना करें तो नजर उतारती है,
माँ है जनाब, वो कहां हार मानती है।

रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखियेरूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये,
चोट लगती है हमें और तड़पती है माँ,
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें,
जब मुसीबत आती है तो याद आती है माँ।

रोटी वो आधी खाती हे मगर अपने बच्चो को पूरा खिलाती हेरोटी वो आधी खाती हे मगर,
अपने बच्चो को पूरा खिलाती हे,
चाहे मेरी माँ हो या तुम्हारी,
दोस्तों माँ सबकी ऐसी ही होती हे।

कोई सरहद नहीं होती कोई गलियारा नहीं होताकोई सरहद नहीं होती, कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती, तो बंटवारा नहीं होता।


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