बस आंखों ने रोना छोड़ा है,
दिल तो आज भी तेरे लिए रोता है।
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर खत्म नहीं।
मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ,
सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है।
इतनी फुर्सत किसको है,
जो हमारी याद में आंसू बहाये,
कोई नहीं इस दुनिया में,
जो हमे इस तरह से चाहे।
इंतजार उसका जिस को अहसास तक नहीं,
एक शाम की मुलाकात को इश्क़ समझ बैठे।
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है,
जिसका रास्ता बहुत खराब है,
मेरे ज़ख्म का अंदाज़ा न लगा,
दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है।
हर रात जान बूझकर रखती हूँ दरवाज़ा खुला,
शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले।
प्यार करके जताए ये जरुरी तो नहीं,
याद करके कोई बताए ये जरुरी तो नहीं,
रोने वाले तो दिल में ही रो लेता है,
आँख में आंसू आए ये जरुरी तो नहीं।
जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं हम नादान थे,
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो।
सोचा भी न था ऐसे लम्हों का सामना होगा,
मंजिल तो सामने होगी पर रास्ता न होगा।
किसके पास है इतना समय जो हमें याद कर सके,
कोई नहीं है इतना सच्चा जो दिल से प्यार कर सके।
पता ही नहीं चला कब वो दोस्त से प्यार बन गया,
साथ गुजरा हुआ कुछ पल आज यादगार बन गया,
कर न सके उनसे इज़हार हम इस बात का,
और देखते ही देखते वह किसी और के दिलदार बन गया।
इस तरह चुपचाप से बिताई है ज़िंदगी मैंने,
धड़कन को भी खबर न लगी कि दिल रो रहा है।
दिल से खेलना तो हमे भी आता है,
लेकिन जिस खैल मे खिलौना टुट जाए,
वो खेल हमे पसंद नही।
एक खेल रत्न उसको भी दे दो,
बड़ा अच्छा खेलता है वो दिल से।
आवाज नहीं होती दिल टूटने की,
लेकिन तकलीफ बहुत होती है।
ग़म हूँ, दर्द हूँ, साज़ हूँ, या आवाज़ हूँ,
बस जो भी हूँ तुम बिन बहुत उदास हूँ।
बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता,
तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता,
जब बी देखता वो अपने हाथों को,
उसे हमारा ख़याल तो आया होता।
निकला करो इधर से भी होकर कभी कभी,
आया करो हमारे भी घर पर कभी कभी,
माना कि रूठ जाना यूँ आदत है आप की,
लगते मगर हैं अच्छे ये तेवर कभी कभी।
नहीं बता सकती हूँ की,
क्या हाल दिल का मेरा है,
बस इतना समझ लो तुम बिन,
ना ज़िन्दगी में मेरे सवेरा है।
बहुत साल बीत गये तुम्हे देखे बिना,
आज भी सपने बस तेरे आते हैं।
मिल जायेगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला,
अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता।
कोई रास्ता नहीं दुआ के सिवा,
कोई सुनता नहीं यहां खुदा के सिवा,
मैंने भी जिंदगी को बहुत करीब से देखा है,
मुश्किल में कोई साथ नहीं देता आंसुओं के सिवा।
नहीं डर लगता मुझे अब गैरों से,
क्यों की मिला है दर्द मुझे अपनों से।
दिल पर किसी के यु ऐतबार न करो,
दिल से किसी का इंतज़ार न करो,
कांटे ही कांटे है इस राह में,
हद से भी ज़्यादा किसी से प्यार न करो।
दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो,
थोड़ा सा तो रहने दो, मुझ पर एहसान अपना।
आज हम है कल हमारी यादें होगी,
जब हम न होंगे तब हमारी बातें होगी,
कभी पल्टाओगे ज़िन्दगी के ये पन्ने तो,
शायद आप की आँखों से भी बारिश होगी।
हाथ थामकर तुम्हारा नाव पर सवार हो गयी थी मैं,
अब जो छोड़ोगे हाथ बीच भँवर में तो कहाँ जाऊंगी मैं।
है कोई वकील इस जहान में,
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको।
हमें सताने की जरुरत क्या थी,
दिल मेरा जलाने की जरुरत क्या थी,
इश्क़ नहीं था मुझसे तो कह दिया होता,
मजाक मेरा यु बनाने की जरुरत क्या थी।