न तेरे हिस्से आयी न मेरे हिस्से आयी,
माँ जिसके जीवन में आयी उसने जन्नत पायी।
माँ के लिए ये दुनिया छोड़ देना,
उसके दिल में कभी भी दुःख न देना,
जो रोज़ दरवाजे पर खड़ी रहती है,
बेटा घर जल्दी आ जाना।
वही मेरी दौलत है और वही मेरी शान है,
उसके कदमों में ही तो मेरा सारा जहान है।
आँख खोलू तो चेहरा मेरी माँ का हो,
आँख बंद हो तो सपना मेरी माँ का हो,
मैं मर भी जाऊँ तो भी कोई गम नहीं,
लेकिन कफन मिले तो दुपट्टा मेरी माँ का हो।
घर में धन, दौलत, हीरे, जवाहरात सब आए,
लेकिन जब घर में मां आई तब खुशियां आई।
माँग लूं यह दुआ की फिर यही जहां मिले
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले।
ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं,
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं,
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं।
तन्हाई क्या होती उस माँ से पूछो,
जिसका बेटा घर लोट कर नही आया।
हर इन्सान की जिंदगी में वह सबसे खास होती है,
दूर होते हुए भी वो दिल के पास होती है,
जिसके सामने मौत भी अपना सिर झुका दे,
वह और कोई नहीं बस माँ होती है।
मेरे खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथों को चूल्हे में जलाना याद आता है,
वो डांट डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।
कोई सरहद नहीं होती, कोई गलियारा नहीं होता,
अगर मां की बीच होती, तो बंटवारा नहीं होता।
इन आँखों के कारण ही तुझे दिल ने अपनाया था,
ये दिल भी यूं अक्सर ही आँखों को भिगोया था,
चलने को तो मैं भी चला जाता ज़माने से पर,
उस अंगुली को कैसे भूलता जिसने कभी चलना सिखाया था।
तेरी डिब्बे की वो दो रोटियां कहीं बिकती नहीं माँ,
महंगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं माँ।
मोहब्बत की बात तो जमाना भी करता है,
लेकिन प्यार की शुरुआत आज भी माँ से होती है।
भटकती हुई राहों की धूल था मैं,
जब मां के चरणों को छुआ तो
चमकता हुआ सितारा बन गया।
उस रब से दुआ है, वो शाम कभी ना आए,
जब मुझसे दूर माँ ना जाए।
हालातों के आगे जब साथ ना जुबां होती है,
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो सिर्फ माँ होती है।
थोड़ी कम पढ़ी लिखी हुई है माँ मेरी,
में रोटी 2 माँगता हु, वो 4 ले आती है।
पूछता है जब कोई दुनिया में मोहब्बत है कहाँ,
मुस्कुरा देता हूँ और याद आ जाती है मांँ।
हर झुला झूल के देखा पर,
माँ के हाथ जैसा जादू कही नही देखा।