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Insaan Ki Pehchan Shayari in Hindi - इंसान की पहचान शायरी इन हिंदी

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घर से निकलो तो पता जेब में रख कर निकलोघर से निकलो तो पता जेब में रख कर निकलो,
हादसे इंसान की पहचान तक मिटा देते है।

विरासत में दौलत और शोहरत तो मिल जाया करती हैविरासत में दौलत और शोहरत तो मिल जाया करती है,
पर पहचान तो इंसान को खुद ही बनानी पड़ती है।

तेरी पहचान भी न खो जाए कहींतेरी पहचान भी न खो जाए कहीं,
इतने चेहरे ना बदल थोड़ी सी शोहरत के लिए।

अजनबी बने रहने में सुकून है ये जान पहचान जान ले लेती हैअजनबी बने रहने में सुकून है,
ये जान पहचान जान ले लेती है।

कैसे हो पाएगी अच्छे इंसान की पहचानकैसे हो पाएगी अच्छे इंसान की पहचान,
जब दोनों ही नकली हो गये है आँसू और मुस्कान।

करनी हो पहचान किसी के दिल के दर्द कीकरनी हो पहचान किसी के दिल के दर्द की,
तो दोस्तों गौर से देखना वे मुस्कुराते बहुत है।

आपका प्यार ही हमारी जान हैआपका प्यार ही हमारी जान है,
आप इस बात से आज तक अंजान है,
हम तो ये तक नही जानते कि हम कौन है,
क्योंकि आपका प्यार ही हमारी पहचान है।

बदलते है रिश्ते हर रोज यहाँ सरेआमबदलते है रिश्ते हर रोज यहाँ सरेआम,
यहाँ हर रोज बदल जाती है इंसान की पहचान।

एक बेहतरीन इंसान अपनी जुबान और कर्मो से ही पहचाना जाता हैएक बेहतरीन इंसान अपनी जुबान और कर्मो से ही पहचाना जाता है,
वरना अच्छी बातें तो दीवारों पे भी लिखी होती हैं।

जब होगी तेरी जरूरत तुझे पहचानेंगे लोगजब होगी तेरी जरूरत तुझे पहचानेंगे लोग,
ये शहर है यहां ऐसे ही जान पहचान होती है।

गुजारिश हमारी वह मान न सकेगुजारिश हमारी वह मान न सके,
मज़बूरी हमारी वह जान न सके,
कहते हैं मरने के बाद भी याद रखेंगे,
जीते जी जो हमें पहचान न सके।

करनी हो पहचान अगर गमगीन शख्स कीकरनी हो पहचान अगर गमगीन शख्स की,
दोस्तों गौर से देखना वो मुस्कुराते बहुत है।

पहचान की नुमाईश यारों जरा कम करोपहचान की नुमाईश यारों जरा कम करो,
जहाँ भी 'मैं' लिखा है उसे 'हम' करो।

बेअदबी पहचान है जिस शख्स कीबेअदबी पहचान है जिस शख्स की,
वो अदब की अदाकारी सिखाता है।

सुनो न तुम अजनबी ही अच्छे हो, जान पहचान अकसर जानलेवा होती है।सुनो न तुम अजनबी ही अच्छे हो,
जान पहचान अकसर जानलेवा होती है।

कोई बोलता है तुम हिन्दू बन जाओकोई बोलता है तुम हिन्दू बन जाओ,
कोई बोलता है मुसलमान बन जाओ,
कुछ ऐसा कर जाओ इस जिन्दगी में कि,
हर मजहब की तुम पहचान बन जाओ।

उनकी मोहब्बत के अभी निशान बाकी हैउनकी मोहब्बत के अभी निशान बाकी है,
नाम मेरे लब पर हैं और मेरी जान बाकी है,
क्या हुआ अगर मुझे देखकर फेर लेते हैं अपनी सूरत,
तस्सली है कि उनकी नजर में अभी मेरी पहचान बाकी है।

जब से हमें अपने परायों की पहचान हो गईजब से हमें अपने परायों की पहचान हो गई,
तन्हा ही रहता हूँ पूरी दुनिया वीरान हो गई,
हंसी के ठहाके गूंजा करते थे जिन गलियों में,
अब हाल यूं कि सारी सड़के सूनसान हो गई।

फ़रेबों की दुनिया में मुखौटे पहचानना सीखोफ़रेबों की दुनिया में मुखौटे पहचानना सीखो,
कभी किसी का फ़रेबों से, भला नहीं हुआ करता,
चाशनी लपेट कर जो तारीफ़ करते हैं तुम्हारी,
असलियत में उनका इरादा, नेक नहीं हुआ करता।

काम करो ऐसा कि पहचान बन जाएकाम करो ऐसा कि पहचान बन जाए,
हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए,
यहाँ जिन्दगी तो सभी काट लेते है,
जिन्दगी जियो ऐसे कि मिसाल बन जाए।

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिएकुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती है मगर पहचान छीन लेती है।

पहचान पाने के खातिर पूरा जीवन लगा दियापहचान पाने के खातिर पूरा जीवन लगा दिया,
चंद रूपयों के लालच में ईमान को दांव पर लगा दिया।

जान पहचान बनाने से कुछ मिलता नहीजान-पहचान बनाने से कुछ मिलता नही,
तूफ़ान कितना भी तेज हो पहाड़ हिलता नही।

दिल में गम आँखों में नमीदिल में गम, आँखों में नमी,
चेहरे पर उदासी, जिन्दगी में कमी,
बेबसी रूह में और होठो पे मुस्कान,
जालिम, यही तो है मोहब्बत में बर्बाद,
एक तरफ़ा आशिक की पहचान।

आप बस किरदार हैं अपनी हदें पहचानिएआप बस किरदार हैं अपनी हदें पहचानिए,
वर्ना आप भी दिन कहानी से निकाले जाएंगी।

चीज़ों से हो रही है इंसान की पहचानचीज़ों से हो रही है इंसान की पहचान,
औकात अब हमारी बाजार लिख रहे हैं।

काबिलियत तो इंसान में है इतनी कि जन्नत भी झुका देंकाबिलियत तो इंसान में है इतनी,
कि जन्नत भी झुका दें,
एक बार पहचान ले खुद को,
तो पूरी दुनिया को हिला दें।

अपनी ज़िन्दगी में काम करो ऐसा के पहचान बन जायेअपनी ज़िन्दगी में काम करो ऐसा, के पहचान बन जाये,
इस तरह से चलो के निशान बन जाये,
ज़िन्दगी तो हर कोई काट लिया करता है,
इस तरह से ज़िन्दगी गुजारो के मिसाल बन जाये।

चेहरे से सिर्फ इंसान की पहचान होती हैचेहरे से सिर्फ इंसान की पहचान होती है,
चेहरे से परख नहीं होती।

वैसे तो सभी लोग अच्छे होते हैवैसे तो सभी लोग अच्छे होते है,
पर इंसान की पहचान बुरे वक्त में होती है।

अपनी पहचान भीड़ में खोकर खुद को कमरों में ढूंढ़ते है लोगअपनी पहचान भीड़ में खोकर,
खुद को कमरों में ढूंढ़ते है लोग।

बड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनीबड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनी,
उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल है।

समय समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहियेसमय-समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहिये,
इससे अपने और पराये की पहचान होती रहती है।

हर दिन एक नकाब पहन कर निकलता हैहर दिन एक नकाब पहन कर निकलता है,
वो इंसान, ख़ुद की पहचान से डरता है।

गुमनामी के अँधेरे में था पहचान बना दियागुमनामी के अँधेरे में था, पहचान बना दिया,
दुनिया के गम से मुझे, अनजान बना दिया,
उनकी ऐसी कृपा हुई,
गुरू ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया।

किरदार तो अक्सर नकाब में ही रहता हैकिरदार तो अक्सर नकाब में ही रहता है,
लोग इन्सान की पहचान उसकी अदाकारी से करते हैं।

किसी से ज़बर्दस्ती का, प्यार नहीं हुआ करताकिसी से ज़बर्दस्ती का, प्यार नहीं हुआ करता,
कोई भी ज़बर्दस्ती से, अपना नहीं हुआ करता,
जो दिल के करीब है सिर्फ उसको पहचानो,
कभी दिल के कालों से, रिश्ता नहीं हुआ करता।

हँसता हुआ चेहरा आपकी शान बढ़ाता है मगरहँसता हुआ चेहरा आपकी शान बढ़ाता है मगर,
हँसकर किया हुआ कार्य आपकी पहचान बढ़ाता है।

जिन्दगी में न कोई राह आसान चाहिएजिन्दगी में न कोई राह आसान चाहिए,
न कोई अपनी ख़ास पहचान चाहिए,
बस एक ही दुआ मांगते है रोज भगवान से,
आपके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान चाहिए।

लफ़्ज मेरी पहचान बने तो बेहतर हैलफ़्ज मेरी पहचान बने तो बेहतर है,
चेहरे का क्या वो तो साथ चला जाएगा।

इंसान की पहचान की शुरूआत चेहरे से होती हैइंसान की पहचान की शुरूआत चेहरे से होती है,
पर उसकी सम्पूर्ण पहचान तो व्यवहार से ही होती है।




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