खामोशी तेरी मेरी जान लेकर रहेंगी,
कातिल निगाहें तेरी दिल को जख्मी करके रहेंगी,
बारिश में दुपट्टा उनका उनके बदन से चिपक गया,
देखकर हाल उनका दिल बेचैन हो गया।
बारिश का ये मौसम कुछ याद दिलाता है,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है,
फ़िज़ा भी सर्द हैं यादें भी ताज़ा है,
ये मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता है।
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे,
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे,
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें,
तुम्हें भुलाने में शायद मुझे ज़माना लगे।
हो गया है मानसून का आगाज़,
सब खोल लो अपना छाता।
लेलो मज़ा इस बरसात का,
और खा लो जो आपको भाता।
लेलो मज़ा इस बरसात का,
देखो नज़ारा खुदा की करामात का,
समय है प्रकृति से मुलाक़ात का,
इसके दृश्यों की तहकीकात का।
मेरे ख्यालों में वही सपनो में वही,
लेकिन उनकी यादों में हम थे ही नहीं,
हम जागते रहे दुनियां सोती रही,
एक बारिश ही थी जो हमारे साथ रोती रही।
ए बारिश ज़रा थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाये तो जम के बरस,
पहले न बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके।
गरज के साथ बारिश आ रही है,
और अँधेरी रात गहरी हो जाती है,
एक दूसरे का हाथ थाम लो,
और खट्टी-मीठी बातें करने लगते है।
मौसम है लुभावना हो जाता,
जब बारिश का आना हो पाता,
मुस्कुराने लगता हर एक इंसान,
जैसे बेजान में भी आ जाये प्राण।
बरसात की रात में मत करो शैतानी,
मौका मिला है तो क्या करोगे अपनी मनमानी,
बातें करने को बुलाया था तुमने तो आज मुझे,
अब मत करो तुम अपने इरादों से बेईमानी।
उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं,
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई।
बारिश में आज भीग जाने दो,
बूंदों को आज बरस जाने दो,
न रोको यूँ खुद को आज,
भीग जाने दो इस दिल को आज।
दिन हुआ है तो रात भी होगी,
घटा छाई है तो बरसात भी होगी,
बिछड़ने का गम नहीं करना जानम,
जिंदगी रही तो दोबारा मुलाकात भी होगी।
आज मौसम कितना खुश गंवार हो गया,
खत्म सभी का इंतज़ार हो गया,
बारिश की बूंदे गिरी कुछ इस तरह से,
लगा जैसे आसमान को ज़मीन से प्यार हो गया।
बारिश से मोहब्बत मुझे इस कदर है,
वो बरसता उधर है, धड़कता दिल मेरा इधर है।
सुबह का मौसम, बारिश का साथ है,
हवा ठंडी जिससे ताजगी का एहसास है,
बना के रखिए चाय और पकौड़े,
बस हम आपके घर के थोड़े से पास है।
क्या नज़ाकत है इन बूंदों की,
मन करे इसमें शूमार हो जाऊ,
डूब लू इस मौसम के नूर में,
और इसका तलबगार हो जाऊ।
आज मौसम भी लगता है बेकरार हो गया,
खत्म प्रेमियों का इंतजार हो गया,
बारिश की बुँदे कुछ गिरी इस तरह से,
शायद आसमान को भी जमीन से प्यार हो गया।
तुझसे की हुई हर बात याद आती है,
वीराने और महफ़िल की मुलाकात याद आती है,
खिलते सूरज का दिल चांदनी रात याद आती है,
सर्दियों की फिजा और मौसम की बरसात याद आती है।
इस मौसम के बादल तुम खूब बरसना,
इतना कि बना लो हर किसी को अपना।
किसी को ना पड़े मुस्कुराहट को ढूँढना,
ये बरसात ही सिखा दे सभी को हंसना।