तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
खामोशी तेरी मेरी जान लेकर रहेंगी,
कातिल निगाहें तेरी दिल को जख्मी करके रहेंगी,
बारिश में दुपट्टा उनका उनके बदन से चिपक गया,
देखकर हाल उनका दिल बेचैन हो गया।
कहीं फिसल ही न जाऊं तेरी याद में चलते-चलते,
रोक अपनी यादों को मेरे शहर में बारिश का समाँ है।
आज हल्की हल्की बारिश है,
आज सरद हवा का रक्स भी है,
आज फूल भी निखरे निखरे है,
आज उनमे तुम्हारा अक्स भी है।
आज हल्की बारिश है,
आज ठंडी हवा का झोंका भी है,
आज फूल भी खिले है,
आज उनमें आपकी भी छाप है।
तुझसे की हुई हर बात याद आती है,
वीराने और महफ़िल की मुलाकात याद आती है,
खिलते सूरज का दिल चांदनी रात याद आती है,
सर्दियों की फिजा और मौसम की बरसात याद आती है।
क्या नज़ाकत है इन बूंदों की,
मन करे इसमें शूमार हो जाऊ,
डूब लू इस मौसम के नूर में,
और इसका तलबगार हो जाऊ।
ए बारिश ज़रा थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाये तो जम के बरस,
पहले न बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके।
इश्क़ करने वाले आँखों की बात समझ लेते है,
सपनो में यार आए तो उसे मुलाकात समझ लेते है,
रूठता तो आसमान भी है अपनी ज़मीन के लिए,
यह तो लोग ही उसे बरसात समझ लेते है।
जब भी होगी पहली बारिश, तुमको सामने पायेंगे,
वो बूंदों से भरा चेहरा तुम्हारा हम देख तो पायेंगे।
बारिश में चलने से एक बात याद आती है,
फिसलने के डर से वो मेरा हाथ थाम लेता था।