इन बादलों का मिज़ाज भी,
मेरे महबूब जैसा है,
कभी टूट के बरसता है,
कभी बेरुखी से गुजर जाता है।
इस मौसम के बादल तुम खूब बरसना,
इतना कि बना लो हर किसी को अपना।
किसी को ना पड़े मुस्कुराहट को ढूँढना,
ये बरसात ही सिखा दे सभी को हंसना।
बारिश में हम पानी बनकर बरस जायेंगे,
पतझड़ में फूल बनके बिखर जायेंगे,
क्या हुआ जो हम आपको तंग करते हैं,
कभी आप इन लम्हों के लिए भी तरस जायेंगे।
ए बारिश ज़रा थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाये तो जम के बरस,
पहले न बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके।
इस बरसात में हम भीग जायेंगे,
दिल में तमन्ना के फूल खिल जायेंगे,
अगर दिल करे मिलने को तो याद
करना बरसात बनकर बरस जायेंगे।
मौसम है लुभावना हो जाता,
जब बारिश का आना हो पाता,
मुस्कुराने लगता हर एक इंसान,
जैसे बेजान में भी आ जाये प्राण।
आज की बरसात की दिल्लगी ही कुछ ऐसी है,
भीगे बिना कोई रह ना पाए थोड़ी ऐसी है,
खूबसूरती का आलम इस कद्र बढ़ गया है,
महकते मौसम का खुमार सभी पर चढ़ गया है।
क्या नज़ाकत है इन बूंदों की,
मन करे इसमें शूमार हो जाऊ,
डूब लू इस मौसम के नूर में,
और इसका तलबगार हो जाऊ।
बारिश की बूंदों में कभी भीग लिया करो,
काम को छोड़कर मस्ती में जी लिया करो,
कपडे गीले होते है, तो होने दिया करो,
ऐसे मौसम में एक-दूजे को प्यार किया करो।
खामोशी तेरी मेरी जान लेकर रहेंगी,
कातिल निगाहें तेरी दिल को जख्मी करके रहेंगी,
बारिश में दुपट्टा उनका उनके बदन से चिपक गया,
देखकर हाल उनका दिल बेचैन हो गया।
तुम आये जिंदगी में तो बरसात की तरह,
और चल भी दिए तो सुहानी रात की तरह,
बाते रहीं अधूरी और बिछड़ना पड़ा हमें,
था यह भी एक इत्तेफाक मुलाकात की तरह।
तलब है कि यूँ ही बरसता रहे बादल,
जो पिघला दे हर किसी का दिल,
मजबूर हो सब घर से निकलने के लिए,
कुदरत का नायाब नूर देखने के लिए।
कहीं फिसल ही न जाऊं तेरी याद में चलते-चलते,
रोक अपनी यादों को मेरे शहर में बारिश का समाँ है।
न जाने क्यू अभी आपकी याद आ गयी,
मौसम क्या बदला बरसात भी आ गयी,
मैंने छुकर देखा बूंदों को तो, हर बूंद में
आपकी तस्वीर नज़र आ गयी।
उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं,
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई।
आज मौसम कितना खुश गंवार हो गया,
खत्म सभी का इंतज़ार हो गया,
बारिश की बूंदे गिरी कुछ इस तरह से,
लगा जैसे आसमान को ज़मीन से प्यार हो गया।
घर में छुपा है, बारिश में भीग जा,
जिंदगी कैसे जीते है, अब सीख जा।
बारिश में आज भीग जाने दो,
बूंदों को आज बरस जाने दो,
न रोको यूँ खुद को आज,
भीग जाने दो इस दिल को आज।
बरसात की रात में मत करो शैतानी,
मौका मिला है तो क्या करोगे अपनी मनमानी,
बातें करने को बुलाया था तुमने तो आज मुझे,
अब मत करो तुम अपने इरादों से बेईमानी।
मेरे ख्यालों में वही सपनो में वही,
लेकिन उनकी यादों में हम थे ही नहीं,
हम जागते रहे दुनियां सोती रही,
एक बारिश ही थी जो हमारे साथ रोती रही।