रात सुनती रही हम सुनाते रहे,
दर्द की दास्ताँ हम बताते रहे,
मिटा न सके यादें जिनकी दिल से,
नाम लिख लिख कर उनको मिटाते रहे।
अब ये भी नहीं ठीक के हर दर्द मिटा दें,
कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए हैं,
ये इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें,
एक शख्स की यादों को भुलाने के लिए हैं।
आरज़ू नहीं के गम का तूफान टल जाये,
फ़िक्र तो ये है तेरा दिल न बदल जाये,
भुलाना हो अगर मुझको तो एक अहसान करना,
दर्द इतना देना के मेरी जान निकल जाये।
प्यार मुहब्बत का सिला कुछ नहीं,
एक दर्द के सिवा मिला कुछ नहीं,
सारे अरमान जल कर ख़ाक हो गए,
लोग फिर भी कहते हैं जला कुछ भी नहीं।
दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते,
गम में आँसू न बहते तो और क्या करते,
उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ,
हम अपना दिल न जलाते तो और क्या करते।
मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है,
ये कागज कलम ये गजल आख़िरी है,
मैं फिर ना मिलूँगा कहीं ढूंढ लेना,
तेरे दर्द का अब ये असर आख़िरी है।
यूँ तो हर एक दिल में दर्द नया होता है,
बस बयान करने का अंदाज़ जुदा होता है,
कुछ लोग आँखों से दर्द को बहा लेते हैं
और किसी की हँसी में भी दर्द छुपा होता है।
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,
हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,
अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला,
ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।
बस सह सकता हूं इस दर्द को,
कहने को कुछ बचा नहीं है,
उसके जाने के बाद ज़िन्दगी में,
अब और कुछ रहा नहीं है।
गुलशन की बहारों पे सर-ए-शाम लिखा है,
फिर उस ने किताबों पे मेरा नाम लिखा है,
ये दर्द इसी तरह मेरी दुनिया में रहेगा,
कुछ सोच के उस ने मेरा अंजाम लिखा है।
उसने दर्द इतना दिया कि सहा ना गया,
उसकी आदत सी थी इसलिए रहा न गया,
आज भी रोती हूं उसे दूर देख के,
लेकिन दर्द देने वाले से यह कहा ना गया।
ए दिल मत कर इतनी मोहब्बत किसी से,
इश्क में मिला दर्द तू सह नहीं पायेगा,
एक दिन टूटकर बिखर जायेगा अपनों के हाथों से,
किसने तोड़ा दिल ये किसी से कह भी नहीं पायेगा।
दर्द दे कर इश्क़ ने हमे रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया,
हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे,
मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हर मिला दिया।
तुम्हारे प्यार में हम बैठें हैं चोट खाए,
जिसका हिसाब न हो सके उतने दर्द पाये,
फिर भी तेरे प्यार की कसम खाके कहता हूँ,
हमारे लब पर तुम्हारे लिये सिर्फ दुआ आये।
वो रात दर्द और सितम की रात होगी,
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी,
उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर,
कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी।
अगर मैं लिखूं तो पूरी किताब लिख दूँ,
तेरे दिए हर दर्द का हिसाब लिख दूँ,
डरती हूँ कहीं तू बदनाम ना हो जाए,
वरना तेरे हर दर्द की कहानी मेरा हर ख्वाब लिख दूँ।
हर ज़ख्म किसी ठोकर की मेहरबानी है,
मेरी ज़िन्दगी की बस यही एक कहानी है,
मिटा देते सनम तेरे हर दर्द को सीने से,
पर ये दर्द ही तो तेरी आखिरी निशानी है।
जख्म जब मेरे सीने से बाहर आयेंगे,
आंसू भी मोती बनकर बिखर जायेंगे,
ये न पूछों कि किसने कितना दर्द दिया है,
वर्ना कई अपनो के चेहरे उतर जायेंगे।
ज़िंदगी है बड़ी नादान इसलिए चुप हूँ,
दर्द ही दर्द सुबह शाम इसलिए चुप हूँ,
कहो तो कह दूं ज़माने से दास्तान अपनी,
उसमे आएगा तुम्हारा नाम इसलिए चुप हूँ।
कभी दर्द है तो दवा नहीं,
जो दवा मिली तो शिफा नहीं,
वो जुल्म करते हैं इस तरह,
जैसे मेरा कोई खुदा नहीं।
बहुत कमज़ोर हो गए हो साहिब,
जो संभाल नहीं पाए दर्द,
आखिर कर ही लिया मन हल्का,
गम कागज पर उतार कर।
तलाश है एक ऐसे शख्स की,
जो आँखों में उस वक़्त दर्द देख ले,
जब दुनिया हमसे कह रही हो,
क्या यार तुम हमेशा हसंते ही रहते हो।
वो नाराज़ हैं हमसे कि हम कुछ लिखते नहीं,
कहाँ से लाएं लफ्ज़ जब हमको मिलते नहीं,
दर्द की ज़ुबान होती तो बता देते शायद,
वो ज़ख्म कैसे दिखाए जो दिखते नहीं।
दर्द की दास्ता अभी बाकी है,
मोहोबत का इम्तेहान अभी बाकी है,
दिल करे तो फिर से वफ़ा करने आ जाना,
दिल ही तो टुटा है, जान अभी बाकी है।
तुमको छुपा रखा हे इन पलकों मे,
पर इनको ये बताना नहीं आया,
सोते हुए भीग जाती हे पलके मेरी,
पलकों को अब तक दर्द छुपाना नहीं आया।
दिल में है जो दर्द वो किसे बताएं,
हँसते हुए ज़ख्म किसे दिखाएँ.
कहती है ये दुनिया हमे खुशनसीब,
मगर नसीब की दास्तान किसे सुनाएँ।
एक नया दर्द मेरे दिल में जगा कर चला गया,
कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया,
जिसे ढूंढते रहे हम लोगों की भीड़ में,
मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया।
रोने की सज़ा न रुलाने की सज़ा है,
ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है,
हँसते हैं तो आँखों से निकल आते हैं आँसू,
ये उस शख्स से दिल लगाने की सज़ा है।
मेरे इस दर्द की वजह भी वो है,
और मेरे दर्द की दवा भी तो वो है,
वो नमक ज़ख्मों पे लगाते है तो क्या,
मोहब्बत करने की वजह भी तो वो है।
लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर,
मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की,
जब जहाँ जो मिला अपना लिया,
जो न मिला उसकी ख्वाहिश न की।
वो तो अपने दर्द रो-रो कर सुनाते रहे,
हमारी तन्हाईयों से आँखें चुराते रहे,
और हमें बेवफ़ा का नाम मिला,
क्योंकि हम हर दर्द मुस्कुरा कर छिपाते रहे।
दर्द दे गए सितम भी दे गए,
ज़ख़्म के साथ वो मरहम भी दे गए,
दो लफ़्ज़ों से कर गए अपना मन हल्का,
और हमें कभी ना रोने की कसम दे गए।
दर्द को दर्द से न देखो,
दर्द को भी दर्द होता है,
दर्द को ज़रूरत है दोस्त की,
आखिर दोस्त ही दर्द में हमदर्द होता है।
दर्द देने का अंदाज कुछ ऐसा है,
दर्द दे कर कहते है अब हाल कैसा है,
ज़हर दे कर कहते है अब पीना होगा,
जब पी लिए तो कहते है अब जीना होगा।
दर्द होता नही दुनियाँ को दिखाने के लिए,
हर कोई रोता नही आँसू बहाने के लिए,
रूठने का मज़ा तो तब आता हैं दोस्तों,
जब अपना हो कोई मनाने के लिए।
दर्द ज़ाहिर कभी करने नहीं देता मुझको,
अश्क आंखों में भी भरने नहीं देता मुझको,
जानता हूँ, कि मैं अब टूट चुका हूँ लेकिन,
वो तो इक शख्स बिखरने नहीं देता मुझको।
तेरे प्यार के दर्द में रात भर नहीं सोते है,
ये नैना तेरी याद में हर पल रोते है,
आंखे बंद भी नहीं कर सकता हूं मै अपनी,
बंद करके भी ये नैना तेरे ही ख्वाबों में खोते है।
प्यार सभी को जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पर मरना सिखा देता है,
प्यार नहीं किया तो कर के देख लो यारों,
जालिम हर दर्द सहना सिखा देता है।
दर्द से दोस्ती हो गई यारों,
जिंदगी बे दर्द हो गई यारों,
क्या हुआ जो जल गया आशियाना हमारा,
दूर तक रोशनी तो हो गई यारो।
न कर तू इतनी कोशिसे,
मेरे दर्द को समझाने की,
पहले इश्क कर फिर जख्म खा,
फिर लिख दावा मेरे दर्द की।
मोहब्बत का मेरे सफ़र आखिरी है,
ये कागज़ कलम ये गज़ल आखिरी है,
मैं फिर न मिलूँगा कहीं ढूढ लेना,
तेरे दर्द का अब ये असर आखिरी है।
इस बहते दर्द को मत रोको,
यह तो सज़ा है किसी के इंतज़ार की,
लोग इन्हे आँसू कहे या दीवानगी,
पर यह तो निशानी है किसी के प्यार की।
तेरे दिल के करीब आना चाहता हूँ मैं,
तुझको नहीं और अब खोना चाहता हूँ मैं,
अकेले इस तनहाई का दर्द बर्दाश्त नहीं होता,
तू एक बार आजा तुझसे लिपट कर रोना चाहता हूँ मैं।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
सजा कैसी मिली हमको तुझसे दिल लगाने की,
रोना ही पड़ा जब कोशिश की मुस्कुराने की,
कौन बनेगा यहाँ मेरी दर्द भरी रातों का हमराज,
दर्द ही मिला है जो तूने कोशिश की आजमाने की।
मेरे इस दर्द की वजह भी वो हैं,
और मेरे दर्द की दवा भी तो वो हैं,
वो नमक ज़ख्मों पे लगाते हैं तो क्या,
मोहब्बत करने की वजह भी तो वो हैं।
वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे,
हमारी तन्हाइयों से भी आँख चुराते रहे,
हमें ही मिल गया खिताब-ए-बेवफा क्योंकि,
हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे।
ठोकर खाते हैं और मुस्कराते हैं,
इस दिल को सब्र करना सिखाते हैं,
हम दर्द लेकर भी लोगों को याद करते हैं,
और लोग दर्द देकर भी लोगों को भूल जाते हैं।
दर्द बहुत हुआ दिल के टूट जाने से,
कुछ न मिला उनके लिए आँसू बहाने से,
वो जानते थे वजह मेरे दर्द की,
फिर भी बाज़ न आये मुझे आजमाने से।