कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना,
मौसम बारिश का भी है और मोहब्बत का भी।
बारिश में चलने से एक बात याद आती है,
फिसलने के डर से वो मेरा हाथ थाम लेता था।
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे,
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे,
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें,
तुम्हें भुलाने में शायद मुझे ज़माना लगे।
आज हल्की हल्की बारिश है,
आज सरद हवा का रक्स भी है,
आज फूल भी निखरे निखरे है,
आज उनमे तुम्हारा अक्स भी है।
बारिश से मोहब्बत मुझे इस कदर है,
वो बरसता उधर है, धड़कता दिल मेरा इधर है।
बहुत दिनों से थी ये आसमान की साजिश,
आज पुरी हुई उनकी ख्वाहिश,
भीग लो अपनों को याद कर के,
मुबारक हो आपको साल की ये पहली बारिश।
लेलो मज़ा इस बरसात का,
देखो नज़ारा खुदा की करामात का,
समय है प्रकृति से मुलाक़ात का,
इसके दृश्यों की तहकीकात का।
बारिश का यह मौसम कुछ याद दिलाता है,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है,
फिजा भी सर्द है यादें भी ताज़ा है,
यह मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता है।
बारिश की बूंदों में कभी भीग लिया करो,
काम को छोड़कर मस्ती में जी लिया करो,
कपडे गीले होते है, तो होने दिया करो,
ऐसे मौसम में एक-दूजे को प्यार किया करो।
इन बादलों का मिज़ाज भी,
मेरे महबूब जैसा है,
कभी टूट के बरसता है,
कभी बेरुखी से गुजर जाता है।
उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं,
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई।
घर में छुपा है, बारिश में भीग जा,
जिंदगी कैसे जीते है, अब सीख जा।
तुम आये जिंदगी में तो बरसात की तरह,
और चल भी दिए तो सुहानी रात की तरह,
बाते रहीं अधूरी और बिछड़ना पड़ा हमें,
था यह भी एक इत्तेफाक मुलाकात की तरह।
आज की बरसात की दिल्लगी ही कुछ ऐसी है,
भीगे बिना कोई रह ना पाए थोड़ी ऐसी है,
खूबसूरती का आलम इस कद्र बढ़ गया है,
महकते मौसम का खुमार सभी पर चढ़ गया है।
इस मौसम के बादल तुम खूब बरसना,
इतना कि बना लो हर किसी को अपना।
किसी को ना पड़े मुस्कुराहट को ढूँढना,
ये बरसात ही सिखा दे सभी को हंसना।
बारिश का ये मौसम कुछ याद दिलाता है,
किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है,
फ़िज़ा भी सर्द हैं यादें भी ताज़ा है,
ये मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता है।
हो गया है मानसून का आगाज़,
सब खोल लो अपना छाता।
लेलो मज़ा इस बरसात का,
और खा लो जो आपको भाता।
बारिश में हम पानी बनकर बरस जायेंगे,
पतझड़ में फूल बनके बिखर जायेंगे,
क्या हुआ जो हम आपको तंग करते हैं,
कभी आप इन लम्हों के लिए भी तरस जायेंगे।
बरसात की रात में मत करो शैतानी,
मौका मिला है तो क्या करोगे अपनी मनमानी,
बातें करने को बुलाया था तुमने तो आज मुझे,
अब मत करो तुम अपने इरादों से बेईमानी।
आज मौसम भी लगता है बेकरार हो गया,
खत्म प्रेमियों का इंतजार हो गया,
बारिश की बुँदे कुछ गिरी इस तरह से,
शायद आसमान को भी जमीन से प्यार हो गया।