आज हल्की बारिश है,
आज ठंडी हवा का झोंका भी है,
आज फूल भी खिले है,
आज उनमें आपकी भी छाप है।
बरसात की रात में मत करो शैतानी,
मौका मिला है तो क्या करोगे अपनी मनमानी,
बातें करने को बुलाया था तुमने तो आज मुझे,
अब मत करो तुम अपने इरादों से बेईमानी।
ए बारिश ज़रा थम के बरस,
जब मेरा यार आ जाये तो जम के बरस,
पहले न बरस की वो आ ना सके,
फिर इतना बरस की वो जा ना सके।
तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
इन बादलों का मिज़ाज भी,
मेरे महबूब जैसा है,
कभी टूट के बरसता है,
कभी बेरुखी से गुजर जाता है।
बारिश से मोहब्बत मुझे इस कदर है,
वो बरसता उधर है, धड़कता दिल मेरा इधर है।
दिन हुआ है तो रात भी होगी,
घटा छाई है तो बरसात भी होगी,
बिछड़ने का गम नहीं करना जानम,
जिंदगी रही तो दोबारा मुलाकात भी होगी।
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे,
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे,
तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें,
तुम्हें भुलाने में शायद मुझे ज़माना लगे।
मौसम है लुभावना हो जाता,
जब बारिश का आना हो पाता,
मुस्कुराने लगता हर एक इंसान,
जैसे बेजान में भी आ जाये प्राण।
इस बरसात में हम भीग जायेंगे,
दिल में तमन्ना के फूल खिल जायेंगे,
अगर दिल करे मिलने को तो याद
करना बरसात बनकर बरस जायेंगे।