अपनी बेबसी पर आज रोना आया,
दूसरों को क्या मैंने तो अपनों को भी आजमाया,
हर दोस्त की तन्हाई हमेशा दूर की मैंने,
लेकिन खुद को हर मोड़ पर हमेशा अकेला पाया।
उतना हसीन फिर कोई लम्हा नहीं मिला,
तेरे जाने के बाद कोई भी तुझ सा नहीं मिला,
सोचा करूं मैं एक दिन खुद से ही गुफ्तगुं,
लेकिन कभी में खुद को तन्हा नहीं मिला।
काँटों सी चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हमें जरा हँसा दे,
रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
माफ़ करना अगर हमने अनजाने में आपको कभी रुला दिया,
आप ने तो दुनियां के कहने पर हमें भुला दिया,
हम तो वेसे भी अकेले थे,
क्या हुआ अगर आपने एहसास दिला दिया।
आज फिर से एहसास हुआ की,
में अकेला था और अकेला ही रहूँगा,
अब ना करूँगा किसी से चाहत,
ना कभी सी से अपने दिल की बात कहूंगा।
रात को जब चाँद सितारे चमकते है,
हम हरदम आपकी याद में तड़पते है,
आप तो चले गए हो तन्हा छोड़ के हमको,
मगर हम आपसे मिलने को तरसते है।
हमारा दिल किसी गहरी जुदाई के भँवर में है,
हमारी आँख भी नम है कभी मिलने चले आओ,
हवाओं और फूलों की नई खुशबू बताती है,
तेरे आने का मौसम है कभी मिलने चले आओ।
तुम जब आओगे तो खोया हुआ पाओगे मुझे,
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं,
मेरे कमरे को सजाने कि तमन्ना है तुम्हें,
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं।
कोई नहीं होता हमेशा के लिए किसी का,
लिखा है साथ थोड़ा-थोड़ा इस दुनिया में सभी का,
मत बनाओ किसी को अपने जीने की वजह,
क्योंकि बाद में जीना पड़ता है अकेले ही उसूल है जिन्दगी का।
मेरी आवाज उसे सुनाई नहीं देती,
अब तो कोई उम्मीद भी दिखाई नहीं देती,
एहसास उसे और सब लोगों का है,
बस मेरी ही तन्हाई उसे दिखाई नहीं देती।
जानता पहले से था मैं,
लेकिन एहसास अब हो रहा है,
अकेला तो बहुत समय से हूं मैं,
पर महसूस अब हो रहा है।
अपनी बेबसी पर आज रोना आया,
दूसरों को क्या मैंने तो अपनों को भी आजमाया,
हर दोस्त की तन्हाई हमेशा दूर की मैंने,
लेकिन खुद को हर मोड़ पर हमेशा अकेला पाया।
लौट आओ और मिलो उसी तड़प से,
अब तो मुझे मेरी वफाओं का सिला दे दो,
देखे है बहुत इसने तन्हाई के मौसम,
अब तो मेरे दिल को अपने दिल से मिला दो।
मैं तेरा दिवाना हूं इस बात से मुझे इंकार नहीं,
कसूर तुम्हारी नजरों का है हम अकेले गुनहगार नहीं,
मेरी जुबां कुछ भी कहे दोस्तों,
मगर दिल कैसे कहे कि तुमसे प्यार नहीं।
फिर कहीं दूर से एक बार सदा दो मुझको,
मेरी तन्हाई का एहसास दिला दो मुझको,
तुम तो चाँद हो तुम्हें मेरी ज़रुरत क्या है,
मैं दिया हूँ किसी चौखट पे जला दो मुझको।
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियों की आदत सी हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
मोहब्बत अब तन्हाइयों से हो गई है।
मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज़्र के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिनों को तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी।
ए ज़िन्दगी एक बार तू नज़दीक आ तन्हा हूँ मैं,
या दूर से फिर दे कोई सदा तन्हा हूँ मैं,
दुनिया की महफ़िल मैं कहीं मैं हूँ भी या नहीं,
एक उम्र से इस सोच में डूबा हुआ हूँ मैं।
मेरा चेहरा मेरी यादें मेरी बातें रुलायेंगी,
जुदाई के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिनों को तो चलो बिता भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी।
आपको खोने का हर पल डर लगा रहता है,
जबकि आपको पाया ही नहीं,
तुम बिन इतना तन्हा हूँ मैं,
कि मेरे साथ मेरा साया भी नहीं।