पता है मुझे की ये प्यार का ही हाल है,
ये प्यार ही बना तेरे जी का जंजाल है,
लगता है बहुत बड़ी की है गलती,
तभी तो तूँ अकेला फ़िलहाल है।
आपको खोने का हर पल डर लगा रहता है,
जबकि आपको पाया ही नहीं,
तुम बिन इतना तन्हा हूँ मैं,
कि मेरे साथ मेरा साया भी नहीं।
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
उतना हसीन फिर कोई लम्हा नहीं मिला,
तेरे जाने के बाद कोई भी तुझ सा नहीं मिला,
सोचा करूं मैं एक दिन खुद से ही गुफ्तगुं,
लेकिन कभी में खुद को तन्हा नहीं मिला।
ए ज़िन्दगी एक बार तू नज़दीक आ तन्हा हूँ मैं,
या दूर से फिर दे कोई सदा तन्हा हूँ मैं,
दुनिया की महफ़िल मैं कहीं मैं हूँ भी या नहीं,
एक उम्र से इस सोच में डूबा हुआ हूँ मैं।
चलते चलते अकेले अब थक गए हम,
जो मंज़िल को जाये वो डगर चाहिए,
तन्हाई का बोझ अब और उठता नहीं,
अब हमको भी एक हमसफ़र चाहिए।
उसकी आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियों की आदत सी हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
बस एक मोहब्बत है, जो इन तन्हाइयों से हो गई है।
हमारा दिल किसी गहरी जुदाई के भँवर में है,
हमारी आँख भी नम है कभी मिलने चले आओ,
हवाओं और फूलों की नई खुशबू बताती है,
तेरे आने का मौसम है कभी मिलने चले आओ।
रात को जब चाँद सितारे चमकते है,
हम हरदम आपकी याद में तड़पते है,
आप तो चले गए हो तन्हा छोड़ के हमको,
मगर हम आपसे मिलने को तरसते है।
जानता पहले से था मैं,
लेकिन एहसास अब हो रहा है,
अकेला तो बहुत समय से हूं मैं,
पर महसूस अब हो रहा है।
आज फिर से एहसास हुआ की,
में अकेला था और अकेला ही रहूँगा,
अब ना करूँगा किसी से चाहत,
ना कभी सी से अपने दिल की बात कहूंगा।
फिर कहीं दूर से एक बार सदा दो मुझको,
मेरी तन्हाई का एहसास दिला दो मुझको,
तुम तो चाँद हो तुम्हें मेरी ज़रुरत क्या है,
मैं दिया हूँ किसी चौखट पे जला दो मुझको।
जमाना सो गया और मैं जगा रातभर तन्हा,
तुम्हारे गम से दिल रोता रहा रातभर तन्हा,
मेरे हमदम तेरे आने की आहट अब नहीं मिलती,
मगर नस-नस में तू गूंजती रही रातभर तन्हा।
कांटो सी चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हमें ज़रा हँसा दे,
मैं रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
लेकर दिल वो चला गया
खुद का दिल उसने दिया ही नहीं,
जिस दिन से छोड़ गया अकेला
उस दिन से मै जिया ही नहीं।
ज़िन्दगी के मोड़ पर एक ऐसा वक़्त आता है,
जब इंसान अपने आपको तनहा पाता है,
वही तन्हाई तो बताती है,
कि कौन किसका कितना साथ निभाता है।
मेरा चेहरा मेरी यादें मेरी बातें रुलायेंगी,
जुदाई के दौर में गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिनों को तो चलो बिता भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा मिलोगे तुम तुम्हें रातें रुलायेंगी।
काँटों सी चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हमें जरा हँसा दे,
रोता हूँ तो रोने लगती है तन्हाई।
मैं तेरा दिवाना हूं इस बात से मुझे इंकार नहीं,
कसूर तुम्हारी नजरों का है हम अकेले गुनहगार नहीं,
मेरी जुबां कुछ भी कहे दोस्तों,
मगर दिल कैसे कहे कि तुमसे प्यार नहीं।
जब महफ़िल में भी तन्हाई पास हो,
रोशनी में भी अँधेरे का एहसास हो,
तब किसी खास की याद में मुस्कुरा दो,
शायद वो भी आपके इंतजार में उदास हो।