Trending - Holi

Thursday | Army | Attitude | Congratulations 🎉 | Good Morning 🌞 | Good Night 😴 | Love 💕 | Motivational 🔥 | Rain 🌧️ | Sad 😢 | Name On Cake 🎂


Home Alfaaz Shayari Alfaaz Shayari

Alfaaz Shayari in Hindi - अल्फ़ाज़ शायरी इन हिंदी

Share :


डाल दो अपनी दुआ के,
चंद अल्फाज मेरी झोली में,
क्या पता आपके लब हीले,
और मेरी जिंदगी बदल जाए।

तेरी याद तेरी चाहत शायरी के अल्फाज बन गए,
भरी महफिल में लोग मेरे दर्द को भी वाह वाह कह गए।

अल्फ़ाज़ों में क्या बयां करें अपनी मोहब्बत के अफ़साने,
हमारे में तो तुम ही हो तुम्हारे दिल की खुदा जाने।

शायर है हम शराबी नहीं,
जब तक चाय नहीं पीते,
अल्फाज पन्नों पर नहीं बरसते।

दोस्त बेशक एक हो लेकिन ऐसा हो,
जो अल्फाज से ज्यादा खामोशी को समझें।

क्या लिखूं और कितना लिखूं दिल के एहसासों को,
जिंदगी भरी पड़ी है सब अनकहें अल्फाज़ों से।

दोस्तों से रिश्ता रखा करो,
जनाब तबियत मस्त रहेगी,
ये वो हकीम हैं जो,
अल्फ़ाज़ से इलाज कर दिया करते हैं

एक उम्र कटी दो अलफ़ाज़ में,
एक आस में, एक काश में।

हां, याद आया,
उसका आखरी अलफ़ाज़ यही था,
जी सको तो जी लेना,
लेकिन मर जाओ तो बेहतर है।

आ लिख दूँ कुछ तेरे बारे में,
मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती है,
खुद को मेरे अल्फाजो में।

तुम्हे सोचा तो हर सोच से खुशबू आई,
तुम्हे लिखा तो हर अलफ़ाज़ महकता पाया।

अलफ़ाज़ चुराने की हमें जरुरत ही ना पड़ी कभी,
तेरे वे हिसाब ख्यालों ने वे हतासा लफ्ज दिए।

वो कहते हैं,
कैसे बयां करे हम अपना हाल-ए-दिल,
हमने कहा बस,
तीन अलफ़ाज़ काफी हैं प्यार का इज़हार करने के लिए।

जब अलफ़ाज़ पन्नो पर शोर करने लगे,
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं।

शायद इश्क अब उतर रहा है सर से,
मुझे अलफ़ाज़ नहीं मिलते शायरी के लिए।

बिखरे पड़े हैं हर्फ कई,
तू समेट कर इन्हे अल्फाज़ कर दे,
जोड़ दे बिखरे पन्ने को,
मेरी जिंदगी को तू किताब कर दे।

दिल चीर जाते हैं ये अल्फाज उनके,
वो जब कहते हैं हम कभी एक नहीं हो सकते।

ये जो खामोश से अलफ़ाज़ लिखे है न,
पढ़ना कभी ध्यान से चीखते कमाल है।

मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ,
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ,
कब पूछा मैंने कि क्यूँ दूर हो मुझसे,
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ।

अलफ़ाज़ गिरा देते हैं जज़्बात की क़ीमत,
हर बात को अलफ़ाज़ में तोला न करो।

रुतबा तो खामोशियों का होता है मेरे दोस्त,
अलफ़ाज़ तो बदल जाते है लोगों को देखकर।

कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ,
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ,
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू,
मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ।

मत लगाओ बोली अपने अल्फ़ाज़ों की,
हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे।

सिमट गई मेरी गजल भी चंद अलफ़ाजो में,
जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं।

खता हो जाती है जज़्बात के साथ,
प्यार उनका याद आता है, हर बात के साथ,
खता कुछ नहीं, बस प्यार किया है,
उनका प्यार याद आता है, हर अलफ़ाज़ के साथ।

अब ये न पूछना के मैं अलफ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ।

सभी तारीफ करते हैं मेरी शायरी की लेकिन,
कभी कोई सुनता नहीं मेरे अल्फाज़ो की सिसकियाँ।

चंद अल्फ़ाज़ के मोती हैं मेरे दामन में,
है मगर तेरी मोहब्बत का तक़ाज़ा कुछ और।

हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो,
कौन जाने कौन सी शायरी आखरी हो जाए,
ये चेहरा ये रौनक ढल ही जाएंगे एक उम्र के बाद,
हम मिलते रहेंगे ताउम्र यूँ ही अल्फ़ाज़ों के साथ।

कुछ अल्फाज के सिलसिले से बनती है शायरी,
और कुछ चेहरे अपने आप में पूरी गजल होते हैं।

महसूस करोगे तो कोरे कागज पर भी नज़र आएंगे,
हम अल्फ़ाज़ हैं तेरे हर लफ्ज़ में ढल जाएंगे।

कैसे बयां करूं अल्फाज नहीं है,
दर्द का मेरे तुझे एहसास नहीं है,
पूछते हो मुझसे क्या दर्द है,
मुझे दर्द ये ही कि तू मेरे पास नहीं है।

खामोशी को चुना है अब बाकी है सफर के लिए,
अब अल्फाजोंको जाया करना हमें अच्छा नहीं लगता।

कई हर्फ़ों से मिल कर बन रहा हूँ,
बजाए लफ़्ज़ के अल्फ़ाज़ हूँ मैं।

सारी रात तेरे यादों में खत लिखते रहे,
पर दर्द ही इतना था की,
अश्क बहते रहे और अल्फाज बहते रहे।

अधूरे रहते हैं मेरे अल्फाज तेरे जिक्र के बिना,
मेरी शायरी की रूह तो बस तु है।

ये अलग बात कि अल्फ़ाज़ हैं मेरे लेकिन,
सच तो बस ये है कि तेरी ही सदा है मुझ में।

मीठे बोल बोलिए क्योंकि अल्फाजों में जान होती है,
इन्हीं से आरती अरदास और अजान होती है,
ये दिल के समंदर के वो मोती हैं,
जिनसे इंसान की पहचान होती है।

मेरे अल्फ़ाज ही है मेरे दर्द का मरहम,
गर मैं शायर ना होता तो पागल होता।

उठा लाया किताबों से वो इक अल्फ़ाज़ का जंगल,
सुना है अब मिरी ख़ामोशियों का तर्जुमा होगा।

उनके अल्फाज हमारे कानों तक पहुंच तो जाएंगे,
हम तो सिर्फ दोस्त हैं उनके,
पर वो अपना दर्द हमें इस कदर सुनाते हैं,
जैसे कोई खास है उनके।

कागज पर गम को उतारने के अंदाज ना होते,
मर ही गये होते अगर शायरी के अल्फाज ना होते।

अल्फ़ाज़ न आवाज़ न हमराज़ न दम-साज़,
ये कैसे दोराहे पे मैं ख़ामोश खड़ी हूँ।

प्यार अल्फाजों का खेल है,
प्यार करने वाला खामोशी को भी समझ जाता है,
और प्यार ना करने वाले को,
छोड़ देना ही बेहतर होता है।

जब सन्नाटा फ़ैल जाये तो समझ लेना,
कि अल्फ़ाज गहरे उतरे हैं दिल में।

बंद रहते हैं जो अल्फ़ाज़ किताबों में सदा,
गर्दिश-ए-वक़्त मिटा देती है पहचान उन की।

तेरे अल्फाज हमारे दिल को,
कुछ इस तरह भा जाते हैं,
तू झूठा ही हम पर प्यार दिखाएं,
हम तो उससे भी खुश हो जाते हैं।

हम अल्फाजो से खेलते रह गए,
और वो दिल से खेल के चली गईं।

ख़याल क्या है जो अल्फ़ाज़ तक न पहुँचे 'साज़',
जब आँख से ही न टपका तो फिर लहू क्या है।

तेरी बातो मे निकलते अल्फाज,
युही नही समझ लेते है हम,
उस को क्या पता प्यार करते है हम,
जिनसे उनकी खामोशी भी समझ लेते है हम।




Categories