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Mohabbat Ki Shayari in Hindi - मोहब्बत की शायरी इन हिंदी

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हाल अपने दिल का तुम्हें सुना नहीं पाते है,
जो सोचते रहते हैं हर पल होंठो तक ला नहीं पाते है।
बेशक बहुत मोहब्बत है तुम्हारे लिए मेरे दिल में,
पर पता नहीं क्यों तुमको फिर भी मैं बता नहीं पाते है।

तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।

मोहब्बत की हद्द है सितारों से आगे,
प्यार का जहाँ है बहारों से आगे,
वो दीवानों की कश्ती जब बहने लगी,
तो बहते बह गयी किनारों से आगे।

जो मोहब्बत तुम्हारे दिल में है,
उसे जुबां पर लाओ और बयां कर दो,
आज बस तुम कहो और कहते ही जाओ,
हम बस सुनें ऐसे बेज़ुबान कर दो।

जब खामोश आँखों से बात होती है,
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,
तुम्हारे ही ख्यालों में खोये रहते है,
पता नहीं कब दिन और कब रात होती है।

ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँ,
मुझे तुम से मोहब्बत है बताना भूल जाता हूँ,
तेरी गलियों में फिरना इतना अच्छा लगता है,
मैं रास्ता याद रखता हूँ ठिकाना भूल जाता हूँ।

फिर न सिमटेगी मोहब्बत जो बिखर जायेगी,
ज़िंदगी ज़ुल्फ़ नहीं जो फिर संवर जायेगी,
थाम लो हाथ उसका जो प्यार करे तुमसे,
ये ज़िंदगी न मिलेगी जो गुज़र जायेगी।

हाल अपने दिल का मैं तुम्हें सुना नहीं पाते है,
जो सोचते रहते है हर पल होंठो तक ला नहीं पाते है।
बेशक बहुत मोहब्बत है तुम्हारे लिए मेरे दिल में,
पर पता नहीं क्यों तुमको फिर भी मैं बता नहीं पाते है।

जब प्यार किसी से होता है, हर दर्द दवा बन जाता है,
क्या चीज मोहब्बत होती है, एक शख्स खुदा बन जाता है,
ये लब चाहे खामोश रहें, आँखों से पता चल जाता है,
कोई लाख छुपा ले इश्क मगर, दुनिया को पता चल जाता है।

ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे,
तू बहुत देर से मिला है मुझे,
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल,
हार जाने का हौसला है मुझे।

चलो अपनी चाहते नीलाम करते है,
मोहब्बत का सौदा सरे आम करते है,
तुम केवल अपना साथ हमारे नाम कर दो,
हम अपनी जिंदगी तुम्हारे नाम करते है।

क्या कहें अब कुछ कहा नहीं जाता,
मीठा सा दर्द है और सहा नहीं जाता,
मोहब्बत हो गयी है इस कदर आप से,
बिना याद किये आपको अब रहा नहीं जाता।

दिल की आवाज़ को इज़हार कहते है,
झुकी निगाहों को इक़रार कहते है,
सिर्फ पाने का नाम मोहब्बत नहीं,
कुछ खोने को भी प्यार कहते है।

कसूर ना उनका था ना हमारा था,
हम दोनों ही रिश्तों की रसम निभाते रहे,
वो दोस्ती का एहसास जताते रहे,
और हम मोहब्बत को दिल में छुपाते रहे।

मोहब्बत नहीं है कोई किताबों की बातें,
समझोगे जब रो कर कुछ काटोगे रातें,
जब चोरी हो गया तो पता चला दिल था हमारा,
करते थे हम भी कभी किताबों की बातें।

ये हालत हमारी हो गयी तुमसे मिलने के बाद,
ज़िन्दगी प्यारी हो गयी है तुमसे मिलने के बाद,
हर चीज़ में अजब रंग है मोहब्बत का,
हर चीज प्यारी हो गयी है तुमसे मिलने के बाद।

कभी तेरी बातें भूल जाऊं, कभी तेरे लफ्ज़ भूल जाऊं,
इस कदर मोहब्बत है तुझसे के अपनी ज़ात भूल जाऊं,
तेरे पास से उठ के जब मैं चल दूँ ऐ मेरे हमदम,
जाते जाते खुद को तेरे पास भूल जाऊं।

मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नहीं,
वो मुझे चाहे या मिल जाये जरूरी तो नहीं,
ये क्या कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो,
सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नही।

सिर्फ इशारों में होती मोहब्बत अगर,
इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता,
बस पत्थर बन के रह जाता ताज महल
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता।

आपको देख कर यह निगाह रुक जाएगी,
ख़ामोशी अब हर बात कह जाएगी,
पढ़ लो अब इन आँखों में अपनी मोहब्बत,
कसम से सारी कायनात इसे सुनने को थम जाएगी।

क्या आप नहीं जानते हो सनम,
दिल का दर्द दबता नहीं है दबाने से,
आपको मोहब्बत का इज़हार करना ही पड़ेगा,
क्योंकि मोहब्बत छुपती नहीं छुपाने से।

सुकून मिल गया मुझ को बदनाम होकर,
आपके हर एक इल्ज़ाम पे यूँ बेजुबान होकर,
लोग पढ़ ही लेंगें आपकी आँखों में मोहब्बत,
चाहे कर दो इनकार यूँ अनजान होकर।

अजब मौसम है मेरे हर कदम पर फूल रखता है,
मोहब्बत में मोहब्बत का फरिश्ता साथ चलता है,
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंठ रख देना,
यकीन आ जायेगा पलकों तले भी दिल धड़कता है।

मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते है, मेरी आंखों में आँसू है,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।

नया ये दौर है लेकिन, वही किस्से पुरानें है,
मोहब्बत के जमाने थे, मोहब्बत के जमानें है,
मेरे गीतों में जो तुमने, सुने यादों के किस्से है,
मोहब्बत के तरानें तो, अभी तुमको सुनाने है।

इतनी मोहब्बत ना सिखा ए खुदा,
कि तुझसे ज्यादा उसपे ऐतबार हो जाए,
दिल तोड़ के जाए वो मेरा,
और तू मेरा गुनाहगार हो जाए।

पहली मोहब्बत थी हम ये जान न सके,
ये प्यार क्या होता है हम पहचान न सके,
वो दिल में हमारे बस गए है इस कदर,
जब भी चाहा उन्हें दिल से निकाल न सके।

मोहब्बत में किसी का इंतजार न करना,
हो सके तो किसी से प्यार न करना,
कुछ नहीं मिलता किसी से मोहब्बत करके,
खुद की ज़िन्दगी इस पर बेकार न करना।

वो मुझ तक आने की राह चाहता है,
लेकिन मेरी मोहब्बत का गवाह चाहता है,
खुद आते जाते मौसमों की तरह है,
और मुझसे मोहब्बत की इन्तहा चाहता है।

हाल अपना तुम्हें बताना क्या, चीर के दिल तुम्हें दिखाना क्या,
वही रोना है सदा का अब भी, दास्ताँ फिर वो ही दोहराना क्या.
बेकरारी ही है जुदाई में, ग़म की बातें तुम्हें सुनना क्या,
मेरी चुप्पी में तेरी मोहब्बत है, बेवजह होंठों को हिलाना क्या।

संभाले नहीं संभलता है दिल,
मोहब्बत की तपिश से न जला,
इश्क तलबगार है तेरा चला आ,
अब ज़माने का बहाना न बना।

नया यह दौर है लेकिन,वही किस्से पुराने है,
मोहब्बत के ज़माने थे, मोहब्बत के ज़माने है,
मेरे गीतों में जो तुमने, सुने यादों के जो किस्से है,
मोहब्बत के तराने तो, अभी तुमको सुनाने है।

सुकून मिल गया है मुझको बदनाम होकर,
आपके हर एक इल्ज़ाम पे यूँ बेजुबान होकर,
लोग पड़ ही लेंगे आपकी आँखों में मोहब्बत,
चाहे कर दो इनकार यूँ ही अनजान हो कर।

ज़रूरी काम है लेकिन रोजाना भूल जाता हूँ,
मुझे तुमसे मोहब्बत है बताना भूल जाता हूँ,
तेरी गलियों में फिरना इतना अच्छा लगता है,
मैं रास्ता याद रखता हूँ ठिकाना भूल जाता हूँ।

इस दिल का कहा मानो एक काम कर दो,
एक बेनाम सी मोहब्बत मेरे नाम कर दो,
मेरे ऊपर एक छोटा सा एहसान कर दो,
एक सुबह को मिलो और शाम कर दो।

मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही,
वो मुझे चाहे या मिल जाये, जरूरी तो नही,
ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो,
सामने हो मेरी आँखों के ये जरूरी तो नही।

हाथों से यूँ अपने चेहरे को छुपाते क्यों हो,
मुझसे शर्माते हो तो सामने आते क्यों हो,
तुम भी मेरी तरह कर लो इकरार-ए-वफ़ा अब,
मोहब्बत करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो।

एक अजनबी से बात क्या हुई क़यामत हो गयी​,
सारे शहर को इस चाहत की खबर हो गयी​​,
क्यों ना दोष दूँ इस दिल-ऐ-नादाँ को​,​
दोस्ती का इरादा था और मोहब्बत हो गयी​।

गम में ख़ुशी की वजह बनी है मोहब्बत,
दर्द में यादों की वजह बनी है मोहब्बत,
जब कुछ भी ना रहा था अच्छा इस दुनिया में,
तब हमारे जीने की वजह बनी है यह मोहब्बत।

लोग कहते है उसको खुदा की इबादत है,
ये मेरी समझ में तो एक जहालत है,
रात जाग के गुजरे, दिल को चैन न आए,
जरा बताओ दोस्तों क्या यही मोहब्बत है।

क्या चाहूँ रब से तुम्हें पाने के बाद,
किसका करूँ इंतज़ार तेरे आने के बाद,
क्यों मोहब्बत में जान लुटा देते है लोग,
मैंने भी यह जाना इश्क़ करने के बाद।

घायल कर के मुझे उसने पूछा,
करोगे क्या फिर मोहब्बत मुझसे,
लहू-लहू था दिल मेरा मगर
होंठों ने कहा बेइंतहा-बेइंतहा।

नज़रे करम मुझ पर इतना न कर,
की तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं,
मुझे इतना न पिला इश्क़-ए-जाम की,
मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊं।

कहा ये किसने कि फूलों से दिल लगाऊं मैं,
अगर तेरा ख्याल ना सोचूं तो मर जाऊं मैं,
माँग ना मुझसे तू हिसाब मेरी मोहब्बत का,
आ जाऊं इम्तिहान पर तो हद्द से गुज़र जाऊं मैं।

उसने मोहब्बत, मोहब्बत से ज्यादा की है,
हम ने मोहब्बत उस से भी ज्यादा की है,
अब वो किसे कहेगा मोहब्बत की इन्तेहां,
हमने शुरुआत ही इन्तेहां से ज्यादा की है।

हमें तो अपनी मोहब्बत को आजमाना था,
तेरी गली से गुजरना तो एक बहाना था,
करीब पहुंचे समंदर के तो ख्याल आया,
हमें किसी की निगाहों में डूब जाना था।

इतनी मोहब्बत ना सिखा ऐ खुदा,
कि तुझसे ज्यादा उसपे ऐतबार हो जाए,
दिल तोड़ के जाए वो मेरा,
और तू मेरा गुनाहगार हो जाए।

प्यार दरिया है जिसका साहिल नहीं होता,
हर शख्स मोहब्बत के काबिल नहीं होता,
रोता है वो जो डूबा है किसी के प्यार में,
और रोता वो भी है जिसे प्यार हासिल नहीं होता।

तुम्हारा ज़र्फ़ है तुम को मोहब्बत भूल जाती है,
हमें तो जिस ने हँस कर भी पुकारा याद रहता है,
मोहब्बत में जो डूबा हो उसे साहिल से क्या लेना,
किसे इस बहर में जा कर किनारा याद रहता है।

इस लफ़्ज़े-मोहब्बत का इतना सा फसाना है,
सिमटे तो दिले-आशिक़ फैले तो ज़माना है,
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे,
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है।




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