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Home Bewafa Shayari 2 Line Bewafa Shayari in Hindi - 2 लाइन बेवफा शायरी इन हिंदी

अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ

अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँअगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।

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मेरी तलाश का जुर्म है या मेरी वफा का क़सूरमेरी तलाश का जुर्म है या मेरी वफा का क़सूर,
जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला।

खुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफ़ा कोखुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफ़ा को,
दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी।

गर हमें तेरी बदनामियों का डर न होतागर हमें तेरी बदनामियों का डर न होता,
न तू बेवफा कहती, न मैं बेवफा होता।

तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभीतेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी,
बेवफा मैंने तुझ को भुलाया नहीं अभी।

अब भी तड़प रहा है तू उसकी याद मेंअब भी तड़प रहा है तू उसकी याद में,
उस बेवफा ने तेरे बाद कितने भुला दिए।

मिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वालामिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला,
अब शहर का शहर तो बेवफा हो नहीं सकता।

वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिलीवो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।

किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होनाकिसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना,
मोहब्बत में यही लम्हा कयामत की निशानी है।

दोस्तो आज पीने के लिये मना मत करनादोस्तो आज पीने के लिये मना मत करना,
आज किसी बेवफा का जन्मदिन है।

वो जमाने में यूँ ही बेवफ़ा मशहूर हो गये दोस्तवो जमाने में यूँ ही बेवफ़ा मशहूर हो गये दोस्त,
हजारों चाहने वाले थे किस-किस से वफ़ा करते।

जिनकी शायरियों में दर्द होता हैजिनकी शायरियों में दर्द होता है,
वो शायर नही किसी बेवफा का दीवाना होता है।

तू भी आईने की तरह बेवफा निकलातू भी आईने की तरह बेवफा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया।

अब के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सहीअब के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सही,
कौन मानेगा कि हम में से बेवफा कोई नहीं।

न रहा कर उदास ऐ दिल किसी बेवफा की याद मेंन रहा कर उदास ऐ दिल किसी बेवफा की याद में,
वो खुश है अपनी दुनिया में तेरा सबकुछ उजाड़ के।

वो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसालवो बेवफा हर बात पे देता है परिंदों की मिसाल,
साफ साफ नहीं कहता मेरा शहर छोड़ दो।

ये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लियेये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लिये,
बेवफाओं की क्या औकात जो शब्दों को तोल सके।

इतनी मुश्किल भी न थी राह मेरी मोहब्बत कीइतनी मुश्किल भी न थी राह मेरी मोहब्बत की,
कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हुए।

अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँअगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।

बेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी ऐ दिल-ए-जानाबेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी ऐ दिल-ए-जाना,
आज ज़रा वक़्त पर आना मेहमान-ए-ख़ास हो तुम।

वो कहता है कि मजबूरियां हैं बहुतवो कहता है कि मजबूरियां हैं बहुत,
साफ लफ़्ज़ों में खुद को बेवफा नहीं कहता।


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