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Home Bewafa Shayari 2 Line Bewafa Shayari in Hindi - 2 लाइन बेवफा शायरी इन हिंदी

फिर निकलेंगे तलाश-ए-मोहब्बत के लिए

फिर निकलेंगे तलाश-ए-मोहब्बत के लिएफिर निकलेंगे तलाश-ए-मोहब्बत के लिए,
कोई बेवफा न मिले दुआ करना दोस्तों।

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आता नहीं ख्याल अब अपना भी ऐ जलीलआता नहीं ख्याल अब अपना भी ऐ जलील
एक बेवफा की याद ने सब कुछ भुला दिया।

अब भी तड़प रहा है तू उसकी याद मेंअब भी तड़प रहा है तू उसकी याद में,
उस बेवफा ने तेरे बाद कितने भुला दिए।

काम आ सकी न अपनी वफायें तो क्या करेंकाम आ सकी न अपनी वफायें तो क्या करें,
उस बेवफा को भूल न जाये तो क्या करे।

मिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वालामिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला,
अब शहर का शहर तो बेवफा हो नहीं सकता।

जुल्मो सितम सहते रहे एक बेवफा की आस मेजुल्मो सितम सहते रहे एक बेवफा की आस मे,
डुबो दिया मुझे दरिया ने दो घूट की प्यास में।

अब के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सहीअब के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सही,
कौन मानेगा कि हम में से बेवफा कोई नहीं।

मत रो किसी बेवफा को याद करकेमत रो किसी बेवफा को याद करके,
वो खुश है तुझे यूँ बर्बाद करके।

गर हमें तेरी बदनामियों का डर न होतागर हमें तेरी बदनामियों का डर न होता,
न तू बेवफा कहती, न मैं बेवफा होता।

फिर निकलेंगे तलाश-ए-मोहब्बत के लिएफिर निकलेंगे तलाश-ए-मोहब्बत के लिए,
कोई बेवफा न मिले दुआ करना दोस्तों।

सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने​​सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने​​,
​हसीन जिसकी जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है।

बेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी ऐ दिल-ए-जानाबेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी ऐ दिल-ए-जाना,
आज ज़रा वक़्त पर आना मेहमान-ए-ख़ास हो तुम।

इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत कीइतनी मुश्किल भी ना थी, राह मेरी मोहब्बत की,
कुछ ज़माना खिलाफ हुआ, कुछ वो बेवफा हो गए।

तू भी आईने की तरह बेवफा निकलातू भी आईने की तरह बेवफा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया।

किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होनाकिसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना,
मोहब्बत में यही लम्हा कयामत की निशानी है।

इतनी मुश्किल भी न थी राह मेरी मोहब्बत कीइतनी मुश्किल भी न थी राह मेरी मोहब्बत की,
कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हुए।

महबूब अगर बेवफा हो इश्क अगर सच्चा होमहबूब अगर बेवफा हो इश्क अगर सच्चा हो,
मेरे यारों कहानी कुछ अधूरी-सी लगती है।

न जाने क्या है उसकी उदास आंखों मेंन जाने क्या है उसकी उदास आंखों में,
वो मुँह छुपा के भी जाये तो बेवफा न लगे।

अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँअगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।

ये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लियेये शायरी की महफ़िल बनी है आशिकों के लिये,
बेवफाओं की क्या औकात जो शब्दों को तोल सके।

रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लिपट केरोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लिपट के,
ऐसा लगा के जैसे कभी बेवफा न थे वो।


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