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Home Bewafa Shayari 2 Line Bewafa Shayari in Hindi - 2 लाइन बेवफा शायरी इन हिंदी

अपने तजुर्बे की आज़माइश की ज़िद थी

अपने तजुर्बे की आज़माइश की ज़िद थीअपने तजुर्बे की आज़माइश की ज़िद थी,
वर्ना हमको था मालूम कि तुम बेवफा हो जाओगे।

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तू भी आईने की तरह बेवफा निकलातू भी आईने की तरह बेवफा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया।

गर हमें तेरी बदनामियों का डर न होतागर हमें तेरी बदनामियों का डर न होता,
न तू बेवफा कहती, न मैं बेवफा होता।

न जाने क्या है उसकी उदास आंखों मेंन जाने क्या है उसकी उदास आंखों में,
वो मुँह छुपा के भी जाये तो बेवफा न लगे।

खुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफ़ा कोखुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफ़ा को,
दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी।

मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूरमेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर,
जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला।

सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमनेसिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने​​,
​हसीन जिसकी जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है।

मिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वालामिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला,
अब शहर का शहर तो बेवफा हो नहीं सकता।

मत रो किसी बेवफा को याद करकेमत रो किसी बेवफा को याद करके,
वो खुश है तुझे यूँ बर्बाद करके।

इतनी मुश्किल भी न थी राह मेरी मोहब्बत कीइतनी मुश्किल भी न थी राह मेरी मोहब्बत की,
कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हुए।

बेवफा वक़्त था तुम थे या मुकद्दर था मेराबेवफा वक़्त था? तुम थे? या मुकद्दर था मेरा?
बात इतनी ही है कि अंजाम जुदाई निकला।

अब भी तड़प रहा है तू उसकी याद मेंअब भी तड़प रहा है तू उसकी याद में,
उस बेवफा ने तेरे बाद कितने भुला दिए।

रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लिपट केरोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लिपट के,
ऐसा लगा के जैसे कभी बेवफा न थे वो।

अब के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सहीअब के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सही,
कौन मानेगा कि हम में से बेवफा कोई नहीं।

तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभीतेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी,
बेवफा मैंने तुझ को भुलाया नहीं अभी।

वो कहता है कि मजबूरियां हैं बहुतवो कहता है कि मजबूरियां हैं बहुत,
साफ लफ़्ज़ों में खुद को बेवफा नहीं कहता।

वो जमाने में यूँ ही बेवफ़ा मशहूर हो गये दोस्तवो जमाने में यूँ ही बेवफ़ा मशहूर हो गये दोस्त,
हजारों चाहने वाले थे किस-किस से वफ़ा करते।

अपने तजुर्बे की आज़माइश की ज़िद थीअपने तजुर्बे की आज़माइश की ज़िद थी,
वर्ना हमको था मालूम कि तुम बेवफा हो जाओगे।

रुसवा क्यों करते हो तुम इश्क़ को ए दुनिया वालोरुसवा क्यों करते हो तुम इश्क़ को, ए दुनिया वालो,
मेहबूब तुम्हारा बेवफा है, तो इश्क़ का क्या गनाह।

अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँअगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है।

वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिलीवो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।


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