वही है डगर, वही है सफ़र,
है नही साथ मेरे मगर, अब मेरा हमसफ़र,
इधर उधर ढूंढें नजर, वही है डगर,
कहाँ गयी शामें मदभरी, वो मेरे मेरे वो दिन गए किधर।
तू हमसफ़र तू हमडगर तू हमराज नज़र आता है,
मेरी अधूरी सी जिंदगी का ख्वाब नज़र आता है,
कैसी उदास है जिंदगी बिन तेरे हर लम्हा,
मेरे हर लम्हे में तेरी मौजूदगी का अहसास नज़र आता है।
शाम आई तो बिछुड़े हुए हमसफ़र,
आंसुओं से इन आंखों में आने लगे,
आंखें मंज़र हुई, काम नग़्मा हुए,
घर के अन्दाज़ ही घर से जाते रहे।
राह-ए-वफ़ा में कोई हमसफ़र ज़रूरी है,
ये रास्ता कहीं तनहा कटे तो मुश्किल है
जहाँ भी जाऊँ ये लगता है, तेरी महफ़िल है।
हुमज़ुबां मेरे थे इनके दिल मगर अच्छे न थे,
मंज़िलें अच्छी थीं मेरे हमसफ़र अच्छे न थे,
वो आती है रोज मेरे कब्र पर अपने हमसफर के साथ,
कौन कहता है की दफनाने के बाद जलाया नही जाता।
जो अपने हमसफ़र थे दुबारा नहीं मिले,
पीछे जो रह गये थे, मेरे हम-क़दम हुए,
कुछ इस तरह से साथ मेरे हमसफ़र चले,
साये से जैसे जिस्म कोई बेख़बर चले l
आज तुझसे नही शायद खुद से ही मेरी रुसवाई है,
तुझसे करके प्यार मैने जिंदगी में पाई सिर्फ तन्हाई है,
दामन छुड़ा के प्यार का मेरे तूने अपनी दुनियां बसाई है,
मैने समझा तुझे हमसफर अपना तू निकला हरजाई है।
ना तो कारवाँ की तलाश है,
ना तो हमसफ़र की तलाश है,
मेरे शौक़-ए-खाना खराब को,
तेरी रहगुज़र की तलाश है।
अगर हमसफ़र साथ देने वाला हो,
तो रास्ते कितने भी मुश्किल भरे हो,
ज़िन्दगी का सफर खूबसूरत हो ही जाता है।
मंजिल मिलने से दोस्ती भुलाई नहीं जाती,
हमसफ़र मिलने से दोस्ती मिटाई नहीं जाती,
दोस्त की कमी हर पल रहती है यार,
दूरियों से दोस्ती छुपाई नहीं जाती।
हमसफ़र मेरे हमसफ़र पंख तुम परवाज़ हम,
ज़िंदगी का साज़ हो तुम साज़ की आवाज़ हम।
राह भी तुम हो राहत भी तुम ही हो,
मेरे सुख और दुख को बांटने वाली,
हमसफर भी तुम ही हो।
जहां सर झुक जाए वही खुदा का घर है,
जहां हर नदी मिल जाए वही समुंदर है,
इस जिंदगी में दर्द तो सब देते हैं,
जो दर्द समझे वही अच्छा सच्चा हमसफ़र है।
यकीन नहीं आता कि,
वो बेवफा कभी मेरा हमसफर था,
और सब कुछ तो था हमारे बीच,
बस ना जाने प्यार किधर था।
सामने मंजिल थी और पीछे उसका वजूद,
क्या करते हम भी यारों,
रुकते तो सफर रह जाता,
चले तो हमसफर रह जाता।
शाम आयी, तो बिछड़े हुए हमसफ़र,
आंसुओं से इन आंखों में आके रहे,
हर मुसाफिर है तन्हा-तन्हा क्यों,
एक-एक हमसफ़र से पूछते हैं।
रात तनहाईयों की दुश्मन है,
हर सफ़र हमसफ़र से रोशन है,
मौज के पास जो किनारा है,
वो किनारा हसीन लगता है।
मेरे साथ रिश्ता निभाओगे क्या, कहो ना, मेरे साथ आओगे क्या,
हमें आरज़ू है तुम्हारे साथ की, मुझे हमसफ़र तुम बनाओगे क्या,
मेरा कोई घर या ठिकाना नहीं, मेरे साथ घर बसाओगे क्या,
सुना है तुम्हें सिर्फ झूठे ही मिले, मुझे एक दफ़ा आजमाओगे क्या।
तलाश कर मेरी मोहब्बत को,
अपने दिल में ए मेरे हमसफ़र,
दर्द हो तो समझ लेना की,
मोहब्बत अब भी बाकि है।
मेरे साथ जुगनू है हमसफ़र,
मगर इस शरर की बिसात क्या,
ये चराग़ कोई चराग़ है,
न जला हुआ न बुझा हुआ।
मेरे हमसफर मेरे हमनवां,
बस सिर्फ दो कदम मेरे साथ चल,
ये इल्तिज़ा तो तू मेरी मान ही ले,
ऐसा न हो मैं हो जाऊं कल।
जिंदगी देने वाले मरता छोड़ गये,
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये,
जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की,
वो जो साथ चलने वाले रास्ता मोड़ गये।
रुसवाई ज़िंदगी का मुकद्दर हो गयी,
मेरे दिल भी पत्थर हो गया,
जिसे रात दिन पाने के ख्वाब देखे,
वो बेवफा किसी और की हमसफर हो गई।
ख्वाहिशों के समंदर के सब मोती तेरे नसीब हो,
तेरे चाहने वाले हमसफ़र तेरे हरदम करीब हों,
कुछ यूँ उतरे तेरे लिए रहमतों का मौसम,
कि तेरी हर दुआ, हर ख्वाहिश कबूल हो।
हम चले तो जाए किसी सफर को,
कोई मंजिल तो भाये इस नजर को,
वो जो हमसफर नहीं तो न सही,
राह में तो ठोक रहे हो इस कसर को।
गगन से भी ऊंचा मेरा प्यार है,
तुझ पर मिटूंगा ये इकरार है,
तू इतना समझ ले मेरे हमसफ़र,
तेरे प्यार से मेरा संसार है।
मेरे हमसफ़र मेरे पास आ,
मुझे शोहरतें का कोई काम नहीं,
जो तू मुझे मिल जाये तो,
मुझे किसी बात की हया न हो।
तू हमसफ़र, तू हम डगर, तू हमराज, नजर आता है,
मेरी अधूरी सी जिंदगी का ख्वाब नजर आता है,
कैसी उदास है जिंदगी तेरे बिन हर लम्हा,
मेरे हर लम्हे में तेरा अहसास नजर आता है!
ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती,
मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती,
कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता
मुझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती ।
तेरी लबों की हंसी,
मदहोश करने लगी है मुझे हमसफर,
अब वक्त तो थम सा गया मेरा,
फिजा का हो रहा कुछ ऐसा असर।
शाम आई तो बिछड़े हुए हमसफ़र,
आंसुओं से इन आंखों में आने लगे,
आंखें मंज़र हुई, काम नग़्मा हुए,
घर के अंदाज ही घर से जाते रहे।
मेरे बाद किसी और को,
हमसफ़र बनाकर देख लेना,
तेरी ही धड़कन कहेगी कि,
उसकी वफ़ा में कुछ और ही बात थी।
तुझे क्या ख़बर मेरे हमसफ़र,
मेरा मरहबा कोई और है,
मुझे मंज़िलों से गुरेज़ है,
मेरा रास्ता कोई और है।
हमसफ़र साथ-साथ चलते हैं,
रास्ते तो बेवफ़ा बदलते हैं,
आपका चेहरा है जब से मेरे दिल में,
जाने क्यों लोग मेरे दिल से जलते हैं।
मेरे हर दर्द का मरहम, का सुकून भी तुम ही हो,
इस क़दर मसरूफ़ रहता हूँ तुम्हारी यादो में,
फुरसतों को भी फुर्सत नही मिलती अब तो,
क्योंकि हमसफर अब भी तुम ही हो।
फिरते हैं कब से दरबदर,
अब इस नगर अब उस नगर,
एक दूसरे के हमसफ़र,
मैं और मेरी आवारगी।
गगन से भी ऊंचा मेरा प्यार है,
तुझी पर मिटूंगा ये इकरार है,
तू इतना समझ ले मेरे हमसफ़र,
तेरे प्यार से मेरा संसार है।
मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर,
तेरा क्या भरोसा ए हमसफ़र,
तेरी यु प्यार करने की अदा,
कहीं मेरा दर्द और न बढ़ा दे।
उल्फत में अक्सर ऐसा होता है,
आँखे हंसती हैं और दिल रोता है,
मानते हो तुम जिसे मंजिल अपनी,
हमसफर उनका कोई और होता है।
रास्ते अनजाने में ही सही पर,
हम दोनों को करीब ले आए,
अब मिट गए हैं फासले हमसफर,
तेरे अंदाज ही कुछ ऐसे रंग लाए।