हथियार तो शौक के लिए रखे जाते हैं,
खौफ के लिए तो आँखें ही काफी हैं।
भाई बोलने का हक़ मैंने सिर्फ दोस्तों को दिया है,
वरना दुश्मन तो आज भी हमें बाप के नाम से पहचानते हैं।
कुछ सही तो कुछ खराब करते है,
इसीलिए लोग हमे बिगड़ा हुआ नवाब कहते है।
चश्मे तो हम शौक के लिए पहनते है,
वरना कीसी को पटाने के लिए हमारे आंखों के इशारे ही काफी है।
अगर फितरत हमारी सेहने की ना होती,
तो हिम्मत तुम्हारी कुछ कहने की ना होती।
बात संस्कार और आदर की होती है,
वरना जो सुन सकता है, वो सुना भी सकता है।
दुनियादारी की चादर ओढ़ी है,
पर जिस दिन दिमाग सटका ना,
इतिहास तो इतिहास, भूगोल भी बदल देंगे।
मुश्किलें जरूर है मगर ठहरा नहीं हूँ मै,
मंजिल से ज़रा कह दो अभी पहुँचा नहीं हूँ मै।
ख़ौफ़ और खून हमेशा आँखों में रखो क्योंकि,
हथियारों से सिर्फ दुश्मनो की हड्डिया टूटती है, हौसले नहीं।