जहाँ से तेरी बदमाशी ख़तम होती हैं,
वह से मेरी नवाबी शुरू होती हैं।
खेल ताश का हो या जिंदगी का,
अपना इक्का तब ही दिखाना, जब सामने बादशाह हो।
तजुर्बे ने शेर को खामोश रहना सिखाया,
क्यूंकि दहाड़ कर कभी शिकार नहीं किया जाता।
हाथ में खंज़र ही नहीं, आँखों में पानी भी चाहिए।
मुझे दुश्मन भी, थोड़ा खानदानी चाहिए।
दहशत बनाओ तो हमारे जैसी,
वरना ख़ाली डराना तो कुत्ते भी जानते है।
इस धरती से से उस अंबर तक दो ही चीज मशहूर है,
एक तो मेरा दीवानापन, दूसरा मेरा भोलापन।
उस जगह पर हमेशा खामोश रहना,
जहाँ दो कौड़ी की लोग अपनी हैसियत के गुण गाते है।
अखबार वाला भी हजार बार सोच कर ये खबर छापता है,
क्यों कि मिया भाई से तो सारा शहर कांपता है।