ना साथ है किसी का ना सहारा है कोई,
ना हम किसी के हैं ना हमारा है कोई।
ये दुनिया कहने को तो अपनो का मेला है,
ध्यान से देखो तो यहां हर शख्स अकेला है।
मैंने अकेलेपन को चुना है,
क्योंकि मतलबी लोगों को बहुत सुना है।
बहुत ख़ुश हूं मै अपने अकेलेपन से,
क्योंकि उन महफिलों से तो अच्छा है मेरा अकेलापन,
जहां सब अपने होकर भी अपने नहीं है।
जाने और कितना अकेला होगा इंसान,
आज सेल्फी लेता है, कल खुद ही लाइक करेगा।
बहुत अंदर तक तबाह कर देते हैं वो अश्क़,
जो आँखों से गिर नहीं पाते।
धोखा देने के लिए शुक्रिया तेरा,
तुम न मिलती तो दुनिया की समझ न आती।
मुझको मेरे अकेलेपन से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मुहब्बत नहीं है।