रेगिस्तान भी हरे हो जाते है,
जब अपने साथ अपने भाई खड़े हो जाते है…!

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जिनमें अकेले चलने का हौसला होता है,
उनके पीछे एक दिन क़ाफ़िला होता है…!

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अपनी कमजोरी का जिक्र कभी ना करना,
क्यूंकि लोग कटी पतंग को जमके लूटते है…!

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अगर हमसे मिलना हो तो गहरे पानी मे आना,
बेशकीमती ख़ज़ाने कभी किनारे पर नहीं मिला करते…!

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ताक़त अपने लफ़्ज़ों में डालो,आवाज़ में नहीं,
क्यूंकि फ़सल बारिश से होती है, बाढ़ से नहीं…!

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सही वक़्त पर करवा देंगे हदों को अहसास,
कुछ तालाब खुद को समन्दर समझ बैठे हैं…!

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माना की औरो के मुकाबले कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने,
पर खुश हूँ की खुद को गिरा के कुछ उठाया नहीं मैंने…!

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मत लो मेरे सब्र के बाँध का इम्तेहान,
जब जब ये टूटा है तूफ़ान ही आया है…!

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