अगर अपनी औकात देखनी है,
तो बाप के पैसों का इस्तेमाल करना छोड़ दो।
जो अपनी जिंदगी में कुछ पाना चाहते हैं,
वो समंदर में भी पत्थरों के पुल बना लेते हैं।
निंदा तो उसकी होती है जो ज़िंदा है,
मरे हुए की तो बस तारीफ ही होती है।
खुदा गवाह है दोनों हैं दुश्मने-परवाज,
ग़म-ए-कफस हो या राहत हो आशियाने की।
हजार बर्क गिरे लाख आंधियाँ उठे,
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं।
कल यही ख्वाब हकीकत में बदल जायेंगे,
आज जो ख्वाब फकत ख्वाब नजर आते हैं।
मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो वरना,
ज़िंदगी रुलाने के मौके तलाश लेगी।
जरा दरिया की तह तक तू पहुंच जाने की हिम्मत कर,
तो फिर ए डूबने वाले, किनारा ही किनारा है।