मुश्किलें जरूर है मगर ठहरा नही हूँ मैं,
मंजिलों से कह दो अभी पहुंचा नही हूँ मैं।
हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते,
हर तकलीफ़ में ताकत की दवा देते हैं।
दीया बुझाने की फितरत बदल भी सकती है,
कोई चिराग हवा पे दवाब तो डाले।
आदमी गलती करके जो सीखता है,
वो किसी और तरह से नही सीख सकता।
कैसे हार जाऊं मैं इन तकलीफों के सामने,
मेरी माँ तरक्की की आस में कब से बैठी है।
हाथ बांधे क्यों खड़े हो हादसों के सामने,
हादसें भी कुछ नही है हौंसलो के सामने।
जिस नज़र से आप इस दुनिया को देखेंगे,
ये दुनिया आपको वैसी ही दिखेगी।
लोग पीठ पीछे बड़बड़ा रहे है,
लगता है हम सही रास्ते पर जा रहे है।