ख्वाब बोये थे, और अकेलापन काटा है,
इस मोहब्बत में यारो, बहुत घाटा है।
तन्हाइयों के घरौंदे में हम बस गए,
जो अकेलेपन की दास्तां सुनाई,
तो मेरी बातों पर लोग हँस दिए।
कौन कहता है जनाब ये अकेलापन छलता है,
जब जिंदगी की समझ हो जाए तो खुद का साथ भी भाता है।
मेरा नसीब अच्छा था जो तेरा दीदार हो गया,
पहले मैं अकेली थी और अब अकेलेपन की शिकार हो गयी।
सुनो तुम्हारे जाने के बाद हम कभी,
अकेलापन महसूस ही नहीं कर पायें,
क्या करते कमबख्त तनहाईयों को,
मोहब्बत जो हो गई है हमसे।
जनाब कैसे मुकम्मल हो उस इश्क़ की दास्तां,
जिसकी फितरत में ही अकेलापन होता है।
सुन, अकेला रहना और अकेलेपन में रहना,
वैसा ही है जैसे की मुस्कुराना और गम में रहना।
ये अकेलापन क्या होता है,
ये उस पेड़ में बचे आखिरी पत्ते से पूछो जारा,
जिसने बस पतझड़ के आने की उम्मीद लगा रखी है।