लिखूं कुछ आज यह वक़्त का तकाजा है,
मेरे दिल का दर्द अभी ताजा-ताजा है,
गिर पड़ते हैं मेरे आंसू मेरे ही कागज पर,
लगता है कि कलम में स्याही का दर्द ज्यादा है।
हसीनो ने हसीन बनकर गुनाह किया,
औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया,
पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफ़ाई को,
औरों ने तो क्या उन्होने भी वाह-वाह किया।
हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे,
कभी चाहा था किसी ने तुम ये खुद कहोगे,
न होगे हम तो किसीके तुम ये खुद कहोगे,
मिलेगे बहुत से लेकिन कोई हम सा पागल ना होगा।
कभी कभी मोहब्बत में वादे टूट जाते हैं,
इश्क़ के कच्चे धागे टूट जाते हैं,
झूठ बोलता होगा कभी चाँद भी,
इसलिए तो रुठकर तारे टूट जाते हैं।
ठोकर ना लगा मुझे पत्थर नही हूँ मैं,
हैरत से ना देख कोई मंज़र नही हूँ मैं,
उनकी नज़र में मेरी कदर कुछ भी नही,
मगर उनसे पूछो जिन्हें हासिल नही हूँ मैं।
हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगे,
लफ्ज कागज पर उतर जादूगरी करने लगे,
कामयाबी जिसने पाई उनके घर बस गए,
जिनके दिल टूटे वो आशिक शायरी करने लगे।
प्यार सभी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पे मरना सिखा देता है,
प्यार नहीं किया तो करके देख लो यार,
ज़ालिम हर दर्द सहना सिखा देता है।
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,
चलो ऐसा करो भूला दो मुझको,
तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये,
दिल की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको।