मासूम मोहब्बत का बस इतना सा फसाना है,
कागज की कश्ती है और बारिश का जमाना है।
बात वफाओ की होती तो न हारते,
बात तो किस्मत की थी इसलिये हार गये।
मैं कहाँ जानती हूँ दर्द की क़ीमत,
मेरे अपनों ने मुझे मुफ्त में दिया है।
आंखें खुली रखूं तो आंसूं भी काले,
और बंद करू तो सपने भी काले।
अगर वक्त बुरा और नसीब खराब हो तो,
रास्ते में पड़े पत्थर भी गहरी चोट दे जाते है।
मेरी खामोशी हजार आवाज़े लगाती है,
पर अफसोस वो तुम सुन नहीं सकतें।
मैं हमेशा डरती थी उसे खोने से,
उसने ये डर ही ख़त्म कर दिया मुझे छोड़कर।
किस्मत खराब ना थी हमारी,
पर उम्मीद ही गलत लोगों से कर बैठे।