टूट कर चाहा था तुम्हे,
और तोड़ कर रख दिया तुमने मुझे।
इतनी मोहब्बत क्यों की मैंने तुझसे,
अब ये सोच सोच कर
मुझे खुद से नफरत होने लगी है।
काश की उसको हम बचपन मे ही मांग लेते,
क्योंकि बचपन में हर चीज मिल जाती थी
तब दो आँसू बहाने से।
बनना है तो किसी के दर्द की दवा बनो,
जख्म तो हर इंसान देता है।
दर्द मुझको ढूंढ़ लेता है रोज़ नए बहाने से
वो हो गया वाक़िफ़ मेरे हर ठिकाने से।
दर्द की दवा न हो,
तो दर्द को ही दवा समझ लेना चाहिए।
आजकल जरुरत कहां है
हाथों में पत्थर उठाने की,
तोड़ने वाले तो जुबान से भी
दिल को तोड़ जाते है।
कुछ लोगों की जिंदगी में
खुशियाँ लिखी ही नहीं होती,
शायद मैं भी उन्हीं में से एक हूँ।