इंसान की अच्छाई पर सब खामोश रहते है,
चर्चे अगर उसकी बुराई पर हो तो गूँगे भी बोल पड़ते है।
जलने लगा है जमाना सारा,
क्योंकि चलने लगा है नाम हमारा।
काम ऐसा करो की नाम हो जाए,
या फिर नाम ऐसा करो की सुनते ही काम हो जाए।
नाम की दोस्ती काम की यारी,
दूसरों की तरह ये आदत नहीं हमारी।
कर लो नजर अंदाज अपने हिसाब से,
जब हम करेगे तो बेहिसाब करेगे।
ऐसा कोई शहर नहीं, जहा अपना कहर नहीं,
ऐसी कोई गली नहीं जहा अपनी चली नहीं।
डर से डरना नहीं, डर को डराओ,
जो भूल गए हैं तुमको उनको फिर से याद दिलाओ।
जिनके मिज़ाज दुनियाँ से अलग होते है,
महफ़िलों मैं चर्चे उन्ही के ग़जब होते है।
बोलने की आदत नहीं करके काबिलियत का सबूत दूँगा,
ख़िलाफ़ बोलते हैं जो आज मेरे कल मैं उनकी कह के लूँगा।