तेरे जलवों ने मुझे घेर लिया है ऐ दोस्त,
अब तो तन्हाई के लम्हे भी हसीं लगते है।
बीते हुए कुछ दिन ऐसे है
तन्हाई जिन्हें दोहराती है,
रो-रो के गुजरती है रातें
आँखों में सहर हो जाती है।
ज़िन्दगी के ज़हर को यूं है कर पी रहे है,
तेरे प्यार बिना यूं ही ज़िन्दगी जी रहे है,
अकेलेपन से तो डर नहीं लगता हमें
तेरे जाने के बाद यूँ ही तनहा जी रहे है।
अजीब सी बेताबी रहती है तेरे बिना,
रह भी लेते है और रहा भी नहीं जाता।
तन्हाई की रात कट ही जाएगी
इतने भी हम मजबूर नहीं,
दोहरा कर तेरी बातों को
कभी रो लेंगे कभी हँस लेंगे।
तुम्हारे बगैर ये वक्त ये दिन और ये रात,
गुजर तो जाते हैं मगर गुजारे नहीं जाते।
में अकेलेपन से लिपटा हूँ
मगर हर गम छिपा लेता हूँ,
मिलता हूँ जब किसी से तो
बेवजह मुस्करा देता हूँ।
शाम खाली है जाम खाली है,
ज़िन्दगी यूँ गुजरने वाली है।