जब अकेला होता हूँ,
अकसर तुम्हे बुलाता हूँ,
जब तुम नहीं आते हो,
टूटकर यादों में खो जाता हूँ।

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शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।

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एक रात क्या गुजरी तेरी तन्हाई में,
गुजर गयी हजारों बारिशें आँखों से।

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जिंदगी के ज़हर को यूँ हँस के पी रहे है,
तेरे प्यार बिना यूँ ही ज़िन्दगी जी रहे है,
अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें,
तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे है।

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मुझको मेरे अकेलेपन से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मुहब्बत नहीं है।

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ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है।

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सच कहा था किसी ने तन्हाई में जीना सीख लो,
मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है।

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रात को जब चाँद सितारे चमकते है,
हम हरदम आपकी याद में तड़पते है,
आप तो चले गए हो छोड़ के हमको,
मगर हम आपसे मिलने को तरसते है।

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