क्या मैं अकेला ही हूँ, ये सितम झेलने को,
अब तो कोई आ जाये, मेरी जिंदगी में खेलने को।
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,
जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आई।
मैं मुसीबत में अकेला हूँ तो यार हैरत कैसी,
हर कोई डूबती हुई क़श्ती, से उतर ही जाता है।
अकेला हूँ पर मुस्कुराता बहुत हूँ,
ख़ुद का साथ बड़ी शिद्दत से दे रहा हूँ।
किसी ने दिल जीत लिया, किसी ने दिल हारा था,
जो अकेला रह गया, बस वो दिल हमारा था।
किसी के दर्द में वो अपने ग़मों की झलक पाता है,
बूढ़ा, लाचार, इंसान अक्सर अकेला रह जाता है।
सहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारी,
हम अकेले पूरी महफिल के बराबर है।
हम वहां काम आएंगे,
जहां तुम्हारे अपने अकेला छोड़ जाएंगे।