चेहरे पर है नूर इतना,
लाखों सूरज की रोशनी जितना,
गुलाब अकेला क्या करेगा,
जब महबूब हो कुदरत की रूहानियत जितना।

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पत्ती पत्ती गुलाब बन जाती,
हर कली मेरा ख्वाब बन जाती,
अगर आप डाल देती अपनी महकदा नज़रे इन पर,
तो सुबह की ओस भी शराब बन जाती।

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मेरे आंसुओं में तू ही छुपी रहती है,
रोज आंखों से तू ही तो बरसती है,
किसी गुलाब की बेटी है तू शायद,
इसलिए मुरझाकर भी महकती है।

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प्यार के समंदर में डूबना चाहते है,
प्यार में कुछ खोते है तो कुछ पते है,
प्यार तो एक गुलाब है जिसे सब तोडना चाहते है,
हम तो इस गुलाब को चूमना चाहते है।

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ये रोज डे रोज रोज आये,
तू भी मुझे मिलने फिर यु रोज आये,
लेकर गुलाब हाथों में मेरे नैनों से नैन मिलाये,
और ये तेरा दीवाना तेरी झील सी आँखों में डूब जाये।

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गुलाब की खूबसूरती भी फिकी सी लगती है,
जब तेरे चेहरे पर मुस्कान खिल उठती है,
यूँही मुस्कुराते रहना मेरे प्यार,
तू तेरी खुशियों से मेरी साँसे जी उठती है।

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तुम्हारी अदा का क्या जवाब दूँ,
क्या खूबसूरत सा उपहार दूँ,
कोई तुमसे प्यारा गुलाब होता तो लाते,
जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दूँ।

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गुलाब लाये है तेरे दीदार के लिए,
पर वो भी मुरझा गया तेरे नूर के आगे,
तू ऐसा खूबसूरत हिरा है,
की कोहिनूर भी सोचे तुझे पाने के लिए।

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