आदत अलग है हमारी दुनिया वालों से,
कम दोस्त रखते है मगर लाजवाब रखते है,
क्योंकि बेशक हमारी माला छोटी है,
पर फूल उसमें सारे गुलाब के रखते है।
हैप्पी रोझ डे!
बड़ी नाजुक से पली हो तुम,
तभी तो गुलाब सी खिली कली हो तुम,
जिससे मिलने को बेकरार है हम,
दिल मैं आने वाली खलबली हो तुम।
हैप्पी रोझ डे!
ए-हसीन मेरा गुलाब कबूल कर
हम तुमसे बेइन्तहा इश्क़ करते है,
अब नहीं इस ज़माने की परवाह हमको
हम अपने इश्क़ का इज़हार करते है,
तुम नादानी समझो या शैतानी हमारी
हम हर घडी तेरा इंतजार करते है।
हैप्पी रोझ डे!
बड़े ही चुपके से भेजा था
मेरे महबूब ने मुझे एक गुलाब,
कम्बख्त उसकी खुशबू ने
सारे शहर में हंगामा कर दिया।
हैप्पी रोझ डे!
रोज रोज, रोज डे आये,
फिर तू मेरे लिए गुलाब लाये,
इसी बहाने से सही,
तू मुझसे मिलने तो आये।
हैप्पी रोझ डे!
होंठ कह नहीं सकते जो फसाना दिल का,
शायद नजर से वो बात हो जाए,
इस उम्मीद से करते है इंतजार रोज डे का,
इस गुलाब के जरिए मेरे प्यार का इजहार हो जाए।
हैप्पी रोझ डे!
आपके हाथो पे सदा खिलते गुलाब रहे,
खुदा ना करे आप कभी उदास रहे,
हम आपके पास चाहे रहे या ना रहे,
आप जिसे चाहते हो हमेसा आपके पास रहे।
हैप्पी रोझ डे!