बातें अजीब सी खुद से करता है दिल,
एक पल भी सुकूँ में नहीं रहता है दिल,
पता नहीं चलता क्या माज़रा है इसका,
चाहता नहीं उसे तो क्यों जलता है दिल।
कौन समझाए उन्हें इतनी जलन ठीक नहीं,
जो ये कहते हैं मेरा चाल-चलन ठीक नहीं।
तू हसीं इतनी और मुझे मोहब्बत तुझसे,
दुनिया को तो खिलना ही था,
जब सारा प्यार मिले जहाँ का चाँद को,
सूरज को तो जलना ही था।
मोह में हम बुराई नहीं देख पाते,
और जलन में हम अच्छाई नहीं देख पाते।
कलेजे में जलन, आंखों में पानी छोड़ जाती हो,
मगर उम्मीद की चुनर को धानी छोड़ जाती हो,
सताने कि तुम्हारी ये अदा भी कम नहीं जाना,
कि घर में अपनी कोई एक निशानी छोड़ जाती हो।
अब तो इन आँखों से भी, जलन होती है मुझे,
खुली हो तो ख्याल तेरे, बंद हो तो ख़्वाब तेरे।
किसी और के साथ देख जलते हैं वो,
ये बातें बयां किसी और से करते हैं वो,
हम ना मिलेंगे कभी किसी और से पर,
प्यार का इज़हार करने से डरते हैं वो।
दोस्त तुम्हारे खून में सिर्फ जलना लिखा है,
और हमारे खून में सिर्फ जलाना।
हमें इतनी फुर्सत कहाँ की तकदीर का लिखा देखे,
बस लोगो की जलन देख कर समझ जाते है,
की हमारी तकदीर बुलंद है।
आग तो है ये इश्क़ मगर एहसास होता नहीं,
जलन का बस दर्द होता है मीठा-मीठा।