तू हसीं इतनी और मुझे मोहब्बत तुझसे,
दुनिया को तो खिलना ही था,
जब सारा प्यार मिले जहाँ का चाँद को,
सूरज को तो जलना ही था।
है मनाते दूसरो की हार का जश्न,
जित देख दूसरो की होती है जलन,
क्या यही हे आज के नए ज़माने का चलन।
अक्सर होती है लोगों को वफ़ा में जलन,
ये होती है क्यों दिल के मकां में जलन,
पता नहीं चलता परवाह भी होती है,
क्या बनाई है खुदा तूने ये इंसां में जलन।