बहोत से सवाल उठ रहे हैं,
हमारी खामोशी पर सब्र रखो,
जलने वालों से लेकर चाहने वालों तक,
सबको जवाब मिलेगा।
उसे देख किसी के साथ मेरा खून जला,
हर काम करने का मेरा तब जुनून जला,
क्या बताऊँ क्या क्या खो दिया है मैंने,
बस मैं नहीं जला मेरा सारा सुकून जला।
किसी और के साथ देख जलते हैं वो,
ये बातें बयां किसी और से करते हैं वो,
हम ना मिलेंगे कभी किसी और से पर,
प्यार का इज़हार करने से डरते हैं वो।
जलवे बरकरार रखिए जनाब उनके लिए,
जो आपसे जलते है,
कम्बख्त यही तो वो लोग हे,
जो आपके हौसलों को नई उड़ान देते हे।
है मनाते दूसरो की हार का जश्न,
जित देख दूसरो की होती है जलन,
क्या यही हे आज के नए ज़माने का चलन।