है मनाते दूसरो की हार का जश्न,
जित देख दूसरो की होती है जलन,
क्या यही हे आज के नए ज़माने का चलन।
उसे देख किसी के साथ मेरा खून जला,
हर काम करने का मेरा तब जुनून जला,
क्या बताऊँ क्या क्या खो दिया है मैंने,
बस मैं नहीं जला मेरा सारा सुकून जला।
तू हसीं इतनी और मुझे मोहब्बत तुझसे,
दुनिया को तो खिलना ही था,
जब सारा प्यार मिले जहाँ का चाँद को,
सूरज को तो जलना ही था।
सुना है तेरी तारीफो से जलते हे कुछ लोग,
तो सोचा तेरी थोड़ी और तारीफ करते हे,
उन्हें और जलने देते हे।
अक्सर होती है लोगों को वफ़ा में जलन,
ये होती है क्यों दिल के मकां में जलन,
पता नहीं चलता परवाह भी होती है,
क्या बनाई है खुदा तूने ये इंसां में जलन।
पत्थर दिल है ये जगवाले,
जाने न कोई मेरे दिल की जलन,
जबसे है जनमी प्यार की दुनिया,
तुझको है मेरी मुझे तेरी लगन।
बहोत से सवाल उठ रहे हैं,
हमारी खामोशी पर सब्र रखो,
जलने वालों से लेकर चाहने वालों तक,
सबको जवाब मिलेगा।