बाँये गाल को चूमती ज़ुल्फें,
दाँया गाल जलन से लाल हुआ जाए।
आग तो है ये इश्क़ मगर एहसास होता नहीं,
जलन का बस दर्द होता है मीठा-मीठा।
जलने जलाने का अंदाज बदल रखा है,
अपनी झोपड़ी का नाम राजमहल रखा है।
तू हसीं इतनी और मुझे मोहब्बत तुझसे,
दुनिया को तो खिलना ही था,
जब सारा प्यार मिले जहाँ का चाँद को,
सूरज को तो जलना ही था।
कलेजे में जलन, आंखों में पानी छोड़ जाती हो,
मगर उम्मीद की चुनर को धानी छोड़ जाती हो,
सताने कि तुम्हारी ये अदा भी कम नहीं जाना,
कि घर में अपनी कोई एक निशानी छोड़ जाती हो।
टूटी कलम और गैरों से जलन,
हमें खुद का भाग्य लिखने नही देती।
प्रेम में जितनी गहराई होगी,
अलगाव होने पर जलन भी उतनी ही गहरी होगी।
उसे देख किसी के साथ मेरा खून जला,
हर काम करने का मेरा तब जुनून जला,
क्या बताऊँ क्या क्या खो दिया है मैंने,
बस मैं नहीं जला मेरा सारा सुकून जला।
राख बेशक हूँ, मगर मुझ में हरकत है अभी बाक़ी,
जिसको जलने की तमन्ना हो , हवा दे मुझको।
अभी तो हमारे चर्चे शुरू भी नहीं हुए,
और जलने वालों ने अभी से फड़फड़ाना शुरूकर दिया।