बहोत से सवाल उठ रहे हैं,
हमारी खामोशी पर सब्र रखो,
जलने वालों से लेकर चाहने वालों तक,
सबको जवाब मिलेगा।
बातें अजीब सी खुद से करता है दिल,
एक पल भी सुकूँ में नहीं रहता है दिल,
पता नहीं चलता क्या माज़रा है इसका,
चाहता नहीं उसे तो क्यों जलता है दिल।
है मनाते दूसरो की हार का जश्न,
जित देख दूसरो की होती है जलन,
क्या यही हे आज के नए ज़माने का चलन।
पत्थर दिल है ये जगवाले,
जाने न कोई मेरे दिल की जलन,
जबसे है जनमी प्यार की दुनिया,
तुझको है मेरी मुझे तेरी लगन।