बाँये गाल को चूमती ज़ुल्फें,
दाँया गाल जलन से लाल हुआ जाए।
बाजार मे जीने का अलग ही मजा है,
लोग जलना नही छोड़ते और हम मुस्कुराना नही छोड़ते हैं।
कलेजे में जलन, आंखों में पानी छोड़ जाती हो,
मगर उम्मीद की चुनर को धानी छोड़ जाती हो,
सताने कि तुम्हारी ये अदा भी कम नहीं जाना,
कि घर में अपनी कोई एक निशानी छोड़ जाती हो।
कमाल करते हैं हमसे जलन रखने वाले भी,
महफ़िले खुद की सजाते हैं और चर्चे हमारे करते हैं।