कौन समझाए उन्हें इतनी जलन ठीक नहीं,
जो ये कहते हैं मेरा चाल-चलन ठीक नहीं।
मोह में हम बुराई नहीं देख पाते,
और जलन में हम अच्छाई नहीं देख पाते।
लोग आपसे बिना कारण जलन करते हैं,
एक कारण ही दे दो उन्हें ईर्ष्या करने का।
मेरी काबिलियत से क्यों जलते हो साहब,
जलना है तो मोहब्बत करने वालों से जलो।
चलो तुम जलना शुरू करो,
में खुश होने जा रही हु।
जलने लगा है जमाना सारा,
क्योंकि चलने लगा है नाम हमारा।
ग़ज़ब ख़ूबसूरत है तुम्हारा हर अन्दाज़,
इश्क़ में जलने का , मुहब्बत में जलाने का।
सुना है तेरी तारीफो से जलते हे कुछ लोग,
तो सोचा तेरी थोड़ी और तारीफ करते हे,
उन्हें और जलने देते हे।
कलेजे में जलन, आंखों में पानी छोड़ जाती हो,
मगर उम्मीद की चुनर को धानी छोड़ जाती हो,
सताने कि तुम्हारी ये अदा भी कम नहीं जाना,
कि घर में अपनी कोई एक निशानी छोड़ जाती हो।
किसी की कामयाबी से कभी जलना नहीं,
क्योंकि बड़े महलों के नीचे भी कब्रिस्तान होते हे।